क्या सुरेंद्र राजपूत ने नीतीश पर तंज कसा? बिहार को सचेत सीएम की जरूरत है!

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा पर दलितों के खिलाफ भेदभाव का आरोप।
- नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर चिंता।
- कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर केंद्र सरकार की लापरवाही।
- सोनम वांगचुक के समर्थन की आवश्यकता।
- बिहार में महिला मतदाताओं के नामों का विवाद।
लखनऊ, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता सुरेंद्र राजपूत ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या के मामले में भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने भाजपा को दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी पार्टी बताया। चुनावों की घोषणा से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बर्ताव पर भी कटाक्ष किया।
सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि भाजपा शासन में कभी गाय के नाम पर लोगों को धमकाया जाता है और कभी रायबरेली में दलित युवक को मौत के घाट उतार दिया जाता है। ऐसा करने वाले लोग खुद को बाबा का आदमी बताते हैं। इन लोगों का अब संविधान से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। हम विपक्ष के रूप में इसका विरोध करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि यह देश संविधान के मार्ग पर चले।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। उनकी अजीबोगरीब हरकतें इस बात का संकेत हैं कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। हम उनकी स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। बिहार को अचेत नहीं, बल्कि सचेत मुख्यमंत्री की आवश्यकता है।
उत्तर प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर लगाए गए प्रतिबंध पर उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि ऐसी क्या मजबूरी है कि वो इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत पर भी कटाक्ष किया। उनका कहना था कि भागवत की स्थिति एक बूढ़े व्यक्ति की तरह हो गई है, जिसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा।
उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चुनाव पारदर्शी तरीके से होने चाहिए।
सुरेंद्र राजपूत ने सोनम वांगचुक के मामले में भी समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उनकी रिहाई की आवश्यकता है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बिहार में 23 लाख महिला मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। इस पर सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि जब वोट कटेंगे, तो हम कार्रवाई की मांग करेंगे। चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना होगा कि महिला मतदाताओं के नाम क्यों हटाए गए हैं।