क्या टैरिफ मुद्दे पर वाणिज्य मंत्रालय को सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण देना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- भारत सरकार को टैरिफ मुद्दे पर स्पष्टता देनी चाहिए।
- आदित्य ठाकरे ने ट्रंप की चेतावनी पर अपनी चिंता व्यक्त की।
- टैरिफ का उठान आम जनता पर असर डाल सकता है।
- राम मंदिर का उद्घाटन चुनावी कार्यक्रम बन गया।
- भाजपा की मराठी विरोधी मानसिकता पर सवाल उठाए गए।
मुंबई, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी दी है कि वे भारत पर टैरिफ में "काफी" वृद्धि करेंगे। उनका आरोप है कि भारत "बड़े मुनाफे" के लिए खुले बाजार में रूसी तेल बेच रहा है।
ट्रंप की इस चेतावनी पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भारत सरकार के किसी केंद्रीय मंत्री ने इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं कहा है। भारत की स्थिति आज "हेल्पलेस" महसूस हो रही है। हमें अमेरिका की तरफ से टैरिफ बढ़ाए जाने पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। वाणिज्य मंत्रालय को इस पर सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण देना चाहिए, क्योंकि यह व्यापार से संबंधित है और इसका असर आम जनता पर भी पड़ रहा है। ट्रंप और मोदी, जिनकी दोस्ती कभी चर्चा का विषय थी, अब उसका कोई निशान नहीं दिखता।
राम मंदिर भूमि पूजन की पांचवीं वर्षगांठ पर, आदित्य ठाकरे ने कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन के समय शंकराचार्य जैसे प्रमुख संतों को आमंत्रित नहीं किया गया। जब उद्घाटन हुआ, मंदिर पूर्ण रूप से तैयार नहीं था। यह सिर्फ चुनाव जीतने का एक कार्यक्रम बन गया था। लेकिन हम लोगों का मानना है कि पहले मंदिर, फिर सरकार।
मराठी भाषा पर निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर उन्होंने कहा, "ऐसे लोगों को तवज्जो देने की आवश्यकता नहीं है। भाजपा की मराठी विरोधी मानसिकता अब जनता के सामने आ चुकी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को स्वयं सामने आकर स्पष्ट करना चाहिए कि यह निशिकांत दुबे का व्यक्तिगत बयान है या पार्टी का आधिकारिक बयान है। ऐसे व्यक्तियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।"
एकनाथ शिंदे के दिल्ली दौरे पर, आदित्य ठाकरे ने कहा कि उपमुख्यमंत्री शिंदे दिल्ली अपने गैंग के लोगों को बचाने जा रहे हैं। उन पर और उनके करीबियों को कई नोटिस मिल चुकी हैं। दिल्ली जाकर शिंदे ऐसे कारोबार को संरक्षण देने की कोशिश कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी पर की गई तीखी टिप्पणी पर उन्होंने कहा, "मैं मानता हूं कि कोर्ट की फटकार पर विचार अलग हो सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि स्थानीय लोगों ने खुद कहा है कि चीन की घुसपैठ हो रही है। केंद्र सरकार इस पर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करती। इसका मतलब यह नहीं है कि हम हिंदुस्तानी भी डर जाएं। हम चीन के खिलाफ आवाज उठाने का साहस रखते हैं। केंद्र सरकार को भी अब हिम्मत दिखानी चाहिए।"