क्या मतदाता सूची पुनरीक्षण पर तेजस्वी का हमला सही है, 'दाल में काला नहीं, पूरी दाल ही काली है'?

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची में नाम काटने की प्रक्रिया पर संदेह।
- दलित और वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व खतरे में।
- लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए सभी पार्टियों का एकजुट होना आवश्यक।
पटना, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर मतदाता सूची के गहन परीक्षण पर जोरदार हमला किया है। उन्होंने कहा कि पहले हमें लगता था कि दाल में कुछ काला है, लेकिन अब जो स्थिति सामने आ रही है, उससे यह स्पष्ट है कि यहां पूरी दाल ही काली है.
पटना में महागठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता में तेजस्वी ने कहा कि मतदाता सूची की समीक्षा के नाम पर दलित और वंचित तबके के लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। विशेष रूप से यादव बहुल क्षेत्रों में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने की आशंका व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है.
उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले 35 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने की सूचना आई थी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह कार्य अभी बाकी है, तो यह जानकारी कैसे सामने आई। उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी कई घर ऐसे हैं जहाँ बीएलओ नहीं गए हैं, और वे खुद ही हस्ताक्षर कर अपलोड कर देते हैं.
तेजस्वी ने कहा कि उन्हें मतदाता पुनरीक्षण से कोई समस्या नहीं है, लेकिन उसके तरीके से परेशानी है, जिसके जरिए लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने सभी मंचों पर इस मुद्दे को उठाने का भरोसा दिलाया। इस संबंध में वह देश की सभी पार्टियों को पत्र लिख रहे हैं।
तेजस्वी ने आगे कहा कि लोगों के अधिकार ही नहीं, उनके अस्तित्व को भी छीना जा रहा है। पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत चुनाव के समय मतों को काटने की साजिश की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एनडीए के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू इस मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं, तो नीतीश कुमार और भाजपा चुप क्यों हैं?
इस दौरान, कानून व्यवस्था पर भी तेजस्वी ने कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि अब पुलिस भी मौसम के अनुसार अपराध बढ़ने की बात कर रही है। आज बिहार में अब तक पांच हत्याएं हो चुकी हैं। पटना, दानापुर, खगड़िया, सासाराम और मधेपुरा में ये घटनाएं हुई हैं.