क्या सुप्रीम कोर्ट की तौहीन करने वाले सत्ता के हकदार नहीं हैं? तेजस्वी पर शहाबुद्दीन रजवी का बयान
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट और संविधान का अपमान नहीं सहा जा सकता।
- तेजस्वी यादव का बयान चुनावी लाभ के लिए है।
- वक्फ (संशोधन) कानून का महत्व समझना आवश्यक है।
- राजनीतिक बयानों से सामाजिक एकता प्रभावित होती है।
- भू-माफिया का मुद्दा गरीब मुसलमानों के अधिकारों से जुड़ा है।
बरेली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, नेताओं के विवादित बयान भी सुर्खियों में आ रहे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा केंद्र सरकार के ‘वक्फ (संशोधन) कानून’ को फाड़ने के बयान पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति संसद में पारित कानून को फाड़ने की बात करे और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का अपमान करे, वह देश के लोकतंत्र और संविधान का अपमान करता है। ऐसे व्यक्ति को सत्ता हासिल करने का कोई हक नहीं है।
मौलाना रजवी ने बताया कि वक्फ (संशोधन) कानून पहले लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पारित हुआ है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसमें किए गए संशोधनों पर मुहर लगाई है। अतः इस कानून को फाड़ने की बात न सिर्फ संसद, बल्कि देश की न्याय व्यवस्था का अपमान है।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने वक्फ की संपत्तियों पर नाजायज कब्जा कर रखा है। इन जमीनों से जो आय गरीब मुसलमानों के भले के लिए खर्च होनी चाहिए, वह भू-माफिया अपनी जेब में डाल रहे हैं।
मौलाना ने कहा कि तेजस्वी यादव वक्फ की वास्तविकता से अनजान हैं और केवल चुनावी लाभ पाने के लिए भड़काऊ बयान दे रहे हैं। जो व्यक्ति शरीफ लोगों को धमकी देता है और कानून तोड़ने की बात करता है, वह देश की एकता और न्याय व्यवस्था के लिए खतरा है।
ज्ञात हो कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कहा, ''अगर इंडी गठबंधन सत्ता में आता है तो हम वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक देंगे।''
गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम अप्रैल में संसद से पारित हुआ था। सत्ता पक्ष ने इसे पिछड़े मुसलमानों और समुदाय की महिलाओं के लिए पारदर्शिता और सशक्तीकरण का माध्यम बताया है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि यह मुसलमानों के अधिकारों को प्रभावित करता है। तेजस्वी के इस बयान के बाद न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, बल्कि धार्मिक संगठनों से भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।