क्या तेजस्वी यादव झूठे वादों के आधार पर बिहार की सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं? - डिप्टी सीएम विजय शर्मा
सारांश
Key Takeaways
- बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव के वादों पर सवाल उठाए गए हैं।
- उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने एसआईआर के महत्व पर जोर दिया।
- राहुल गांधी की आलोचना की गई है।
- जनता को अपने मत का सही मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
- राजनीतिक संवाद में पारदर्शिता होनी चाहिए।
रायपुर, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा कटाक्ष किया।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेताओं को यह समझना चाहिए कि जिन धांधलियों और विसंगतियों का वे आरोप लगाते हैं, उन्हें दूर करने के लिए ही एसआईआर की आवश्यकता है। राहुल गांधी एक तरफ हेराफेरी और धांधलियों का जिक्र करते हैं, जबकि दूसरी ओर एसआईआर जैसी पारदर्शी प्रक्रिया का विरोध करते हैं, यह बात समझ से परे है।
उन्हें समझ नहीं आता कि राहुल गांधी एसआईआर का विरोध क्यों करते हैं।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है। इसका विरोध नहीं होना चाहिए। राहुल गांधी एसआईआर का विरोध क्यों करते हैं?
उन्होंने कहा कि आज मतदान का पहला चरण है और तेजस्वी यादव के वादों के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि वे सिर्फ बिहार की सत्ता प्राप्त करने के लिए बोल रहे हैं। जनता स्पष्ट रूप से जानती है कि वे अपने वादों को पूरा नहीं कर सकते।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वे दो करोड़ नौकरियों का वादा करते हैं। इसका अर्थ है कि हर घर में एक नौकरी। गणना के अनुसार, यह कुल दो करोड़ नौकरियों के बराबर है, इसलिए दो करोड़ नौकरियों का वादा करने वाला कोई भी व्यक्ति जागरूक मतदाताओं की नजर में यथार्थवादी नहीं है।
इसी बीच, उत्तर प्रदेश में भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज बिहार में मतदान हो रहा है और अगर राहुल गांधी मतदान से ठीक एक दिन पहले 'वोट चोरी' का आरोप लगा रहे हैं, तो यह दर्शाता है कि उन्होंने पहले ही हार स्वीकार कर ली है।