क्या तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्डों पर विवाद राजनीति को प्रभावित करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्ड का मामला राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है।
- चुनाव आयोग की जांच से स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
- विपक्ष का आरोप है कि यह सरकार की धांधली का एक उदाहरण है।
- इस विवाद का चुनावी प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ सकता है।
- राजनीतिक विश्लेषक इस पर नज़र रखे हुए हैं।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्ड मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। विपक्ष सरकार पर धांधली का आरोप लगा रहा है, वहीं सत्ता पक्ष के सांसद तेजस्वी के दो वोटर कार्ड पर सवाल उठा रहे हैं।
बिहार में इस साल चुनाव होने वाले हैं और इस बीच एसआईआर का मुद्दा गरमाया हुआ है। तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची में नाम नहीं होने का दावा किया था, जिसके जवाब में इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) ने तेजस्वी का ईपीआईसी नंबर जारी किया।
हालांकि, विवाद तब और बढ़ गया जब तेजस्वी यादव के नाम पर दो ईपीआईसी नंबर होने की बात सामने आई। तेजस्वी ने कहा कि जिस ईपीआईसी नंबर वाले वोटर कार्ड से उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में वोट डाला था, वह ईसीआई की लिस्ट में नहीं है। आयोग ने दूसरे ईपीआईसी नंबर के साथ नाम दर्ज होने का दावा किया। ऐसे में दो-दो वोटर आई कार्ड होने से तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "अगर दो मतदाता पहचान पत्र जारी किए जा रहे हैं, तो चुनाव आयोग को इसका जवाब देना चाहिए।"
टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, "चुनाव आयोग ने उनके दोनों वोटर कार्ड की जांच की है।" दूसरी तरफ भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने उचित जांच की आवश्यकता बताई है।
लोजपा (रामविलास) सांसद अरुण भारती ने कहा, "तेजस्वी जी ने एसआईआर के नाम पर फर्जी एजेंडा चलाने की कोशिश की, लेकिन उनके पास स्वयं दो वोटर आईडी हैं।"