क्या तेलंगाना आदिवासी कांग्रेस में नया नेतृत्व आया है, केथावथ शंकर नाइक बने अध्यक्ष?
सारांश
Key Takeaways
- केथावथ शंकर नाइक को तेलंगाना आदिवासी कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
- चार उपाध्यक्षों की नियुक्ति आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए की गई है।
- तेलंगाना में आदिवासी जनसंख्या लगभग 9% है।
- कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को मजबूत करने की योजना बना रही है।
- आदिवासी मुद्दों में वन अधिकार, भूमि पट्टे शामिल हैं।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तहत आदिवासी कांग्रेस के नए अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति का ऐलान किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर स्वीकृति दी है, जो तुरंत लागू हो गई है।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि केथावथ शंकर नाइक को तेलंगाना आदिवासी कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही चार उपाध्यक्षों की भी नियुक्ति की गई है, जिनमें पूनेम चंद्रकला, विश्लावथ लिंगम नाइक, सेदमकी आनंद राव और कुरकुला मल्लिकार्जुन शामिल हैं।
यह नियुक्तियाँ आदिवासी समुदाय के उत्थान, उनकी राजनीतिक भागीदारी को बढ़ाने और कांग्रेस पार्टी की संगठनात्मक मजबूती के लिए की गई हैं। तेलंगाना में आदिवासी जनसंख्या लगभग 9 प्रतिशत है, जो मुख्य रूप से आदिलाबाद, खम्मम, वारंगल, महबूबनगर और निजामाबाद जिलों में रहती है। इन क्षेत्रों में आदिवासी मुद्दे जैसे वन अधिकार, भूमि पट्टे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं।
कांग्रेस ने इन नियुक्तियों के माध्यम से यह संकेत दिया है कि वह 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले आदिवासी वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में आदिवासी समुदाय के बीच उसकी पकड़ कमजोर हुई है, खासकर बीआरएस (पूर्व तेलंगाना राष्ट्र समिति) और भाजपा की बढ़ती सक्रियता के कारण।
केसी वेणुगोपाल ने बताया कि आदिवासी कांग्रेस का यह नया नेतृत्व समुदाय की आवाज को मजबूत करेगा और उनकी समस्याओं को पार्टी के एजेंडे में प्राथमिकता देगा। कांग्रेस हमेशा से वंचित वर्गों के हितों की रक्षा करने वाली पार्टी रही है। यह नियुक्ति उसी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
नए अध्यक्ष केथावथ शंकर नायक आदिवासी समुदाय के युवा और सक्रिय नेता माने जाते हैं। वे लंबे समय से आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे हैं और पार्टी के भीतर अपनी संगठनात्मक क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उपाध्यक्षों में चुने गए सभी नेता विभिन्न आदिवासी उप-समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे संगठन में व्यापकता और समावेशिता सुनिश्चित हुई है।