क्या माकपा ने आदिवासियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया?: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री
सारांश
Key Takeaways
- सीपीआई(एम) पर आदिवासियों को वोट बैंक मानने का आरोप।
- भाजपा की समावेशी विकास की प्रतिबद्धता।
- भविष्य में टीटीएएडीसी चुनावों में भाजपा के मजबूत होने की उम्मीद।
- राजनीतिक कार्यशैली में बदलाव की आवश्यकता।
- भाजपा का आदिवासी समुदायों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण।
अगरतला, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने शनिवार को यह आरोप लगाया कि सीपीआई(एम) ने लंबे समय तक सत्ता में रहने के दौरान जनजाति (आदिवासी) समुदायों को केवल वोट बैंक के रूप में देखा। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समावेशी विकास और जनकल्याण के प्रति संकल्पित है।
रवींद्र शताबर्षिकी भवन में आयोजित पार्टी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि कम्युनिस्टों को आदिवासी मतदाताओं पर अपनी पकड़ को लेकर इतना भरोसा था कि वे 60 सदस्यीय विधानसभा में जनजातियों के लिए आरक्षित 20 सीटों से ही मतगणना करना शुरू कर देते थे।
उन्होंने कहा, “लेकिन अब वे (सीपीआई-एम) डर गए हैं। हमने उनसे ही सीखा है। अगली विधानसभा चुनाव में जब भी भाजपा की सरकार बनेगी, हम भी 20 सीटों से ही गिनती शुरू करेंगे।”
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे साहा ने कहा कि उनकी पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त है और राज्य में शांति और विकास के लिए लगातार काम किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पहले की राजनीति भय, धमकी और हिंसा से भरी हुई थी, जिसके कारण जनजाति समुदायों को लंबे समय तक पीड़ा झेलनी पड़ी।
शनिवार के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साहा ने 1,706 परिवारों के 5,050 मतदाताओं का औपचारिक रूप से भाजपा में स्वागत किया।
पूर्व की राजनीतिक कार्यशैली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पहले नेताओं के बैठक में आने पर बाजार बंद करा दिए जाते थे और धमकियां दी जाती थीं।
उन्होंने कहा, “ऐसी राजनीति अब नहीं चलेगी। जहां-जहां हम पर हमला होता है, वहां भाजपा और मजबूत होती है।” साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के ‘न्यू इंडिया’ के विजन पर चलते हुए ‘न्यू त्रिपुरा’ के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “भाजपा गुंडों की पार्टी नहीं है, बल्कि जनता के लिए काम करने वाली पार्टी है।”
‘थांसा’ की अवधारणा को समझाते हुए साहा ने बताया कि यह एक जनजातीय शब्द है, जिसका अर्थ एकता है। यह जाति (गैर-आदिवासी), जनजाति (आदिवासी), मणिपुरी और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच एकता का प्रतीक है, जिसे भाजपा मजबूत करना चाहती है ताकि एक विकसित त्रिपुरा का निर्माण हो सके।
उन्होंने कहा कि भाजपा नीत सरकार विकास पर स्पष्ट फोकस के साथ काम कर रही है और राज्य के लिए योगदान देने वाले सभी लोगों, जिनमें शाही परिवार के सदस्य भी शामिल हैं, का सम्मान करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही नई राजनीतिक पार्टियां लगातार उभरती रहती हों, लेकिन जनजातियों के कल्याण के लिए वास्तविक रूप से काम करने वाली सरकार भाजपा की डबल इंजन सरकार ही है।
साहा ने कहा कि शनिवार को भाजपा में शामिल हुए लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया है और उन्हें विश्वास है कि आगामी त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीटीएएडीसी) चुनावों में पार्टी और मजबूत होकर उभरेगी।