क्या त्रिपुरा छात्र हत्याकांड के दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी?
सारांश
Key Takeaways
- एंजेल चकमा की हत्या ने पूर्वोत्तर भारत में भेदभाव के मुद्दे को उठाया है।
- राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने इस घटना की भर्त्सना की है।
- घृणा अपराधों के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता है।
- समाज में नफरत फैलाने वाली शक्तियों के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है।
नई दिल्ली/अगरतला, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, मिजोरम के मुख्यमंत्री तथा कई संगठनों ने सोमवार को उत्तराखंड के देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा पर हुए क्रूर हमले और उसकी मौत की तीव्र निंदा की है। नेताओं ने इसे ‘भयानक घृणा अपराध’ करार देते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की।
अधिकारियों और परिवार के सदस्यों के अनुसार, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक कांस्टेबल का 24 वर्षीय बेटा 26 दिसंबर को देहरादून के एक अस्पताल में दम तोड़ गया। चकमा आदिवासी समुदाय से संबंधित इस छात्र पर 9 दिसंबर को अपराधियों ने हमला किया था।
राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि देहरादून में अंजेल चकमा और उनके भाई माइकल के साथ जो हुआ, वह एक भयावह घृणा अपराध है।
उन्होंने कहा कि नफरत रातोंरात नहीं पैदा होती, इसे वर्षों से खासकर हमारे युवाओं को जहरीली सामग्री और गैर-जिम्मेदार बयानों के जरिए बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत सम्मान और एकता पर आधारित है, न कि भय और दुर्व्यवहार पर। हमें एक ऐसे मृत समाज नहीं बनना चाहिए जो अपने साथी भारतीयों को निशाना बनाए जाने पर आंखें मूंद ले। हमें आत्मचिंतन करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि हम अपने देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं। मेरी संवेदनाएं चकमा परिवार और त्रिपुरा तथा उत्तर-पूर्वी भारत के लोगों के साथ हैं। हमें आपको अपने साथी भारतीय भाई-बहन कहने पर गर्व है।
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता और असम कांग्रेस के अध्यक्ष गौरव गोगोई, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस, और कई छात्र एवं युवा संगठनों ने उत्तराखंड में त्रिपुरा के छात्र की हत्या की कड़ी निंदा की है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में कहा कि देहरादून में त्रिपुरा के एक छात्र की मृत्यु से वह बहुत दुखी हैं। उनकी हार्दिक संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं।
लालदुहोमा ने कहा कि यह त्रासदी पूर्वोत्तर के लोगों द्वारा सामना की जा रही लगातार चुनौतियों को उजागर करती है। हमारे संविधान में भेदभाव और नस्लीय पूर्वाग्रह के लिए कोई स्थान नहीं है, और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानून का शासन होना चाहिए।