क्या ट्रंप के 'पीस मेकर' होने का दावा वेनेजुएला के संदर्भ में सही है?
सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप ने वेनेजुएला के खिलाफ कठोर नीतियाँ अपनाई हैं।
- उनकी सैन्य कार्रवाई उनकी 'पीस प्रेसिडेंट' छवि का मजाक उड़ा रही है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनकी नीतियों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं।
- वेनेजुएला के पास दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम रिजर्व हैं।
- मादुरो के खिलाफ अमेरिका की कार्रवाई के कारण राजनीतिक तनाव बढ़ा है।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद "अमेरिका फर्स्ट" का नारा दिया, जो बेहद लोकप्रिय हुआ। यह स्पष्ट था कि "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (मागा) की विदेश नीति का अर्थ उन सैन्य प्रतिबद्धताओं को समाप्त करना था, जिन्होंने अमेरिका को लंबे संघर्षों में उलझा दिया था।
फिर भी, टैरिफ हमलों के बीच, ट्रंप ने वेनेजुएला के खिलाफ सैन्य कार्यवाही शुरू करने से पीछे नहीं हटे। अब वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार को निशाना बनाया जा रहा है। यह सैन्य कार्रवाई उस प्रतिबद्धता के खिलाफ है जिसका ट्रंप ने बार-बार वादा किया था। यह स्पष्ट है कि व्हाइट हाउस एक आक्रामक रुख अपना रहा है, जो ट्रंप की "पीस प्रेसिडेंट" की छवि का मजाक बना रहा है।
हाल के हफ्तों में, अमेरिकी सेना ने वेनेजुएला के तट से दूर कैरिबियन सागर में नावों पर कम से कम आठ हमले किए हैं, जिनमें लगभग 38 लोग मारे गए। वाशिंगटन का कहना है कि इन नावों का उपयोग ड्रग तस्करी के लिए किया जा रहा था। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने बताया कि हाल ही में एक हमले में एक नाव पर सवार छह लोग मारे गए, जो ड्रग तस्करी के लिए कथित तौर पर उपयोग की जा रही थी। यह हमला "एक प्रसिद्ध नार्को-ट्रैफिकिंग मार्ग" पर हुआ था।
वेनेजुएला, जो कभी तेल उत्पादन का अग्रणी रहा, पिछले वर्षों से राजनीतिक और आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार को विपक्ष और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। अमेरिका ने मादुरो को तानाशाह बताते हुए वेनेजुएला में लोकतांत्रिक पुनर्निर्माण की आवश्यकता की बात की है।
2025 में, ट्रंप ने वेनेजुएला के प्रति अपनी नीति में कठोर बदलाव किए हैं। यह बदलाव मुख्य रूप से तीन प्रमुख क्षेत्रों में देखा गया है। पहले, आर्थिक दबाव डालने की कोशिशें हैं। ट्रंप ने मार्च 2025 में एक कार्यकारी आदेश (एग्जिक्यूटिव ऑर्डर 14245) जारी किया, जिसके तहत उन देशों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया गया जो वेनेज़ुएला से तेल आयात करते हैं। इसका उद्देश्य वेनेजुएला की तेल निर्यात से होने वाली आय को कम करना और मादुरो सरकार पर दबाव बनाना था।
दूसरा, सैन्य कार्रवाई है। ट्रंप प्रशासन ने कैरेबियाई सागर में ड्रग तस्करी के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया। इन अभियानों में वेनेज़ुएला से कथित तौर पर ड्रग तस्करी करने वाली नावों को निशाना बनाया गया। हालांकि, इन कार्रवाइयों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आलोचनाएं भी आई हैं।
अक्टूबर 2025 में, ट्रंप ने पुष्टि की कि उन्होंने सीआईए को वेनेजुएला में गुप्त संचालन करने की अनुमति दी है। उनका कहना था कि यह कदम ड्रग तस्करी और आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ उठाया गया। वेनेज़ुएला मानता है कि ये सब कुछ उसके प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा जमाने की कोशिश का नतीजा है।
दुनिया जानती है कि वेनेज़ुएला अपने पेट्रोलियम रिजर्व के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है, जो कि सबसे बड़े हैं। इसके अलावा, यहां प्राकृतिक गैस, आयरन ओर और बॉक्साइट जैसे अन्य प्राकृतिक संसाधनों के भी बड़े भंडार हैं।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच, अमेरिका खुश हो सकता है कि वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो ट्रंप की प्रशंसक हैं। दरअसल, 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला तो उन्होंने इस पुरस्कार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित किया, जो वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक पुनर्निर्माण के लिए उनके समर्थन को दर्शाता है।
हालांकि, ट्रंप की नीति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं रही हैं। कुछ देशों ने इसे वेनेज़ुएला के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना है, जबकि कुछ ने इसे मादुरो सरकार पर दबाव बनाने का एक तरीका माना है।