क्या उदित राज ने बरेली हिंसा के पीछे सोची-समझी साजिश का इशारा किया?

सारांश
Key Takeaways
- बेरोजगारी और मुद्रास्फीति हिंसा का मुख्य कारण हैं।
- पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए।
- मीडिया की जिम्मेदारी की आवश्यकता है।
- राजनीतिक साजिश की संभावना को खारिज नहीं किया गया।
- बिहार की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
बरेली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता उदित राज ने बरेली में हुई हिंसा के संदर्भ में गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और केंद्र सरकार की निष्क्रियता का हाथ है। इसके साथ ही, उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली और मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
उदित राज ने कहा, “बरेली में एक मस्जिद के पास भारी भीड़ जुट गई थी। मैंने इस विषय पर एक समाचार पत्र में पढ़ा, जिसमें एक पुलिस अधिकारी के बयान का भी उल्लेख था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि भीड़ तो चली गई थी, लेकिन बाद में कुछ असामाजिक तत्वों ने उत्पात मचाया। इन लोगों ने पत्थरबाजी की, जिससे माहौल बिगड़ गया। इस घटना के पीछे सोची-समझी साजिश हो सकती है।”
उन्होंने मांग की कि जो लोग इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार करके कड़ी सजा दी जाए। लेकिन उन्होंने चिंता जताई कि अक्सर सजा में देरी होती है, जो समस्या को और बढ़ाती है।
उदित राज ने पुलिस की तैयारी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बैरिकेडिंग की और भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन क्या यह विधि सही थी?
उन्होंने कहा कि बैरिकेडिंग सामान्य बात है, लेकिन इसे इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया कि मीडिया का ध्यान आकर्षित हो सके और सरकार को संदेश दिया जा सके। उनका कहना था कि इसका उद्देश्य हिंसा फैलाना नहीं था, लेकिन स्थिति बेकाबू हो गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग, शायद विपक्षी दल या अन्य ताकतें, मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। उनका कहना है कि जुलूस या अन्य अवसरों पर ऐसी घटनाओं का उपयोग गलत मंशा से किया जाता है।
बातचीत के दौरान उदित राज ने लेह का भी उल्लेख किया। उन्होंने सोनम वांगचुक की तारीफ की और उन्हें एक शांतिप्रिय और आदर्शवादी व्यक्ति बताया।
उन्होंने बताया कि लेह में 543 नौकरियों के लिए 50,000 लोगों ने आवेदन किया, जो बेरोजगारी की गंभीर समस्या को दर्शाता है। उनका कहना है कि मुद्रास्फीति और बेरोजगारी ही लोगों में गुस्सा पैदा कर रही है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन ने लेह की जमीन पर कब्जा कर लिया, लेकिन सरकार चुप है। लोग चाहते हैं कि राज्य का विकास हो और उनकी बात सुनी जाए। उनका सुझाव है कि बातचीत से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।
उदित राज ने मीडिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बरेली हिंसा के पहले दिन मीडिया ने बिना जांच के कांग्रेस के एक पार्षद का नाम उछाला, जो गलत था। उनका मानना है कि मीडिया को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध और प्रदर्शन आवश्यक हैं। यदि विरोध को दबाया गया, तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा।
बिहार की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में वहां कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। नौकरियां नहीं मिल रही, उद्योग नहीं लग रहे। उन्होंने नीतीश कुमार की मांग का उल्लेख किया कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्र का विश्वविद्यालय बनाया जाए, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ।