क्या कांग्रेस नेता उदित राज ने रेटिंग एजेंसी पर सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- रेटिंग एजेंसियां सरकार द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित हैं।
- आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
- युवाओं की स्थिति चिंताजनक है।
- केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जाने की आवश्यकता है।
- सूचना के अधिकार का दुरुपयोग हो रहा है।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता उदित राज ने गुरुवार को एसएनपी क्रेडिट रेटिंग द्वारा भारत की आर्थिक स्थिति को बेहतर बताए जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि रेटिंग एजेंसी वही दिखाएगी जो भारत सरकार उसे अपनी अर्थव्यवस्था के बारे में बताएगी। ऐसा होने की संभावना नहीं है कि मोदी सरकार अपनी कमजोरियों के बारे में किसी रेटिंग एजेंसी को बताएगी।
उदित राज ने यह भी कहा कि किसी भी रेटिंग एजेंसी को भारत की असली स्थिति का पता नहीं होता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रेटिंग एजेंसी ने भारत के गांवों में जाकर वहां की स्थिति का अध्ययन नहीं किया है। असल जानकारी तो केंद्र सरकार के पास है और रेटिंग एजेंसी वही बताएगी, जो उसे दिया जाएगा। वर्तमान में भारत के गांवों में युवाओं की स्थिति अत्यंत खराब है। बड़े-बड़े डिग्री प्राप्त करने के बाद भी उन्हें 12 से 15 हजार की नौकरी करने को मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन, केंद्र सरकार उनके उत्थान के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। अब सवाल यह है कि यह स्थिति कब तक जारी रहेगी। आम लोगों की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्तमान में देश में आर्थिक असमानता बहुत बढ़ गई है। अमीर लोग देश छोड़कर जा रहे हैं। एक व्यक्ति के पास 40 लोगों का वेल्थ है। ऐसी स्थिति में आर्थिक असमानता बढ़ेगी। यदि आप अमीरों की सम्पत्ति जोड़कर देखेंगे, तो आपको एक अच्छी अर्थव्यवस्था दिखाई देगी, लेकिन यदि आप प्रति व्यक्ति आय देखते हैं, तो आपको सही तस्वीर मिलेगी। गरीब लोग और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं। केंद्र सरकार उन्हें पांच किलो अनाज पर जिंदा रखने की कोशिश कर रही है। ऐसे में आप भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की बात करेंगे, तो यह हास्यास्पद है।
उदित राज ने यह भी कहा कि कोई भी रेटिंग एजेंसी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर ही देश की आर्थिक स्थिति का आंकलन करती है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार अपनी खामियों के बारे में क्यों बताएगी? इसके अलावा, सरकार ने कई जानकारियां देना बंद कर दिया है, जिससे सूचना के अधिकार को कमजोर करने का प्रयास किया गया है। ऐसी स्थिति में आप किसी देश की जमीनी स्थिति के बारे में कैसे जान पाएंगे?