क्या यूपी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी दी?

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क्या यूपी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी दी?

सारांश

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी दी है। यह निगम आउटसोर्सिंग एजेंसियों के चयन को पारदर्शी बनाएगा और कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा। जानें इस फैसले का युवा रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

Key Takeaways

  • उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम का गठन
  • कर्मचारियों का मानदेय 16 से 20 हजार रुपए
  • पारदर्शी चयन प्रक्रिया
  • आरक्षण का प्रावधान
  • कर्मचारियों के हितों की रक्षा

लखनऊ, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में कुल 15 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई, जिसमें कंपनीज एक्ट-2013 के सेक्शन-8 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी देना भी शामिल रहा।

यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी, जिसे नॉन-प्रॉफिटेबल संस्था के रूप में संचालित किया जाएगा। इसके माध्यम से अब आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन सीधे विभाग नहीं करेंगे, बल्कि निगम जेम पोर्टल के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया से एजेंसी का चयन करेगा।

आउटसोर्स कर्मचारियों का चयन तीन वर्ष के लिए किया जाएगा। कर्मचारियों को 16 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय निर्धारित किया गया है। इस निर्णय के माध्यम से सरकार सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक कर्मचारी को उसका पूरा हक मिले और उसका भविष्य सुरक्षित रहे। यह निर्णय न केवल लाखों युवाओं को बेहतर अवसर देगा, बल्कि प्रदेश में रोजगार और सुशासन का नया मॉडल भी स्थापित करेगा।

प्रदेश के वित्त और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के विभिन्न विभागों और संस्थाओं में लंबे समय से आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से बड़ी संख्या में कार्मिक सेवाएं प्रदान की जा रही थीं। लेकिन, लगातार यह शिकायतें सामने आ रही थीं कि उन्हें सरकार द्वारा स्वीकृत मानदेय का पूरा भुगतान नहीं मिल रहा। साथ ही ईपीएफ, ईएसआई जैसी अनिवार्य सुविधाओं का नियमित अंशदान भी कई बार एजेंसियों द्वारा नहीं किया जाता था। इन अनियमितताओं को खत्म करने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए यह निगम गठित किया गया है।

अब आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन सीधे विभाग नहीं करेंगे, बल्कि निगम जेम पोर्टल के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया से एजेंसी तय करेगा। कर्मचारियों का मानदेय 16 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। आउटसोर्स कर्मचारियों से महीने में 26 दिन सेवा ली जा सकेगी। कर्मचारी तीन वर्षों के लिए अपनी सेवाएं दे सकेंगे। कर्मचारियों का वेतन 1 से 5 तारीख तक सीधे उनके खातों में जाएगा। ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान अब सीधे कर्मचारियों के खाते में जाएगा, पहले यह राशि सर्विस प्रोवाइडर के पास चली जाती थी। किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर सेवा तुरंत समाप्त की जा सकेगी। आउटसोर्सिंग के लिए चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का प्रावधान किया गया है। इससे बेहतर गुणवत्ता वाले और योग्य कार्मिकों की नियुक्ति सुनिश्चित होगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि नई व्यवस्था में संवैधानिक प्रावधानों के तहत एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, पूर्व सैनिक और महिलाओं को नियमानुसार आरक्षण मिलेगा। महिलाओं को मैटरनिटी लीव का भी अधिकार दिया जाएगा। कर्मचारियों की कार्यक्षमता और दक्षता बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

इसके अलावा, सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर 15 हजार रुपए अंतिम संस्कार सहायता के रूप में दिए जाएंगे। कैबिनेट ने जनपद लखनऊ और कानपुर नगर तथा उसके समीपवर्ती महत्वपूर्ण कस्बों में ई-बसों को नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (NCC) मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया है।

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि अभी तक प्रदेश के 15 नगर निगमों में 743 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं, जिनमें से 700 बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल पर हैं। इस योजना के अंतर्गत लखनऊ और कानपुर नगर समेत आसपास के कस्बों में 10-10 रूटों पर 9 मीटर लंबी एसी ई-बसें चलाई जाएंगी। प्रत्येक रूट पर कम से कम 10 बसें अनिवार्य होंगी।

कॉन्ट्रैक्ट की अवधि वाणिज्यिक संचालन तिथि से 12 वर्ष की होगी। अनुमान है कि प्रत्येक रूट पर करीब 10.30 करोड़ रुपए का व्यय आएगा, जिसमें से 9.50 करोड़ रुपए बसों की खरीद पर और 0.80 करोड़ रुपए चार्जिंग उपकरणों व अन्य आवश्यक साधनों पर खर्च होंगे। प्रावधान के तहत, बसों का डिजाइन, वित्तपोषण, खरीद, निर्माण, आपूर्ति और अनुरक्षण की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटर निभाएंगे। उन्हें 90 दिनों के भीतर प्रोटोटाइप ई-बस उपलब्ध करानी होगी और एक वर्ष के भीतर बस संचालन शुरू करना होगा। सभी किराया एवं गैर-किराया राजस्व का संग्रह निजी ऑपरेटर करेंगे। टैरिफ निर्धारण सरकार द्वारा किया जाएगा, जिसे समय-समय पर संशोधित किया जा सकेगा। साथ ही सरकार परिवहन विभाग और आरटीओ/आरटीए से आवश्यक लाइसेंस और परमिट जारी करेगी।

योगी कैबिनेट ने निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 को भी मंजूरी दी है। नई नीति में 2020-25 की निर्यात नीति में सुधार करते हुए डिजिटल तकनीकी, अवसंरचना विकास, वित्तीय सहायता, निर्यात ऋण और बीमा, बाजार विस्तार, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पर विशेष बल दिया गया है। नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पंजीकृत निर्यातकों की संख्या में 50 प्रतिशत वृद्धि करना और सभी जनपदों को निर्यात गतिविधियों से जोड़कर क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करना है। शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इसके लिए मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की शैक्षणिक इकाइयों को उच्चीकृत किया जाएगा।

वर्तमान में ट्रस्ट के अंतर्गत 5 संस्थान संचालित हैं, स्वामी शुकदेवानंद कॉलेज, स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय, श्री दैवी संपद ब्रह्मचर्य संस्कृत महाविद्यालय, श्री धर्मानंद सरस्वती इंटर कॉलेज और श्री शंकर मुमुक्ष विद्यापीठ। इनका संचालन विश्वविद्यालय करेगा।

-- राष्ट्र प्रेस

विकेटी/एसके

Point of View

जिससे कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा हो सके। यह कदम न केवल युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि प्रदेश में सुशासन का एक नया उदाहरण भी पेश करेगा।
NationPress
02/09/2025

Frequently Asked Questions

आउटसोर्स सेवा निगम का गठन कब हुआ?
आउटसोर्स सेवा निगम का गठन 2 सितंबर 2023 को यूपी कैबिनेट की बैठक में किया गया।
कर्मचारियों का मानदेय क्या होगा?
कर्मचारियों को 16 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलेगा।
कर्मचारी कितने समय तक सेवाएं दे सकेंगे?
कर्मचारी तीन वर्षों तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे।
क्या आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन पारदर्शी होगा?
जी हां, अब आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होगा।
कर्मचारियों को क्या सुविधाएं दी जाएंगी?
कर्मचारियों को ईपीएफ, ईएसआई और मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।