क्या यूपी सरकार की पहल से 'केजीबीवी' बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को नई दिशा दे रही है?

सारांश
Key Takeaways
- केजीबीवी बेटियों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं।
- 1.21 लाख बालिकाओं को आवासीय शिक्षा मिल रही है।
- 75% सीटें एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित हैं।
- बेटियों को डिजिटल दक्षता और वित्तीय साक्षरता का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- केजीबीवी की बालिकाएं खेलों में भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं।
लखनऊ, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिक्षक दिवस के इस खास मौके पर जब पूरे देश में शिक्षकों के योगदान को सम्मानित किया जा रहा है, उत्तर प्रदेश में बेटियों की शिक्षा और सशक्तिकरण की अद्भुत मिसालें देखने को मिल रही हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) बेटियों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का एक नया सपना बन चुके हैं।
इन विद्यालयों में केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि खेल, डिजिटल दक्षता, आत्मरक्षा और जीवन कौशल का भी समावेश किया गया है, ताकि बेटियाँ भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। आज केजीबीवी बेटियों की शिक्षा और सशक्तिकरण का एक मजबूत आधार बन गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है कि हर बेटी एक सुरक्षित माहौल में पढ़ाई करे, आगे बढ़े और अपने लक्ष्यों को हासिल करे। शिक्षक दिवस पर यह उपलब्धियां इस बात का संकेत हैं कि बेटियों की शिक्षा ही उज्ज्वल भविष्य का रास्ता है।
प्रदेश के शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्र में स्थापित 746 केजीबीवी में 1.21 लाख बालिकाओं के लिए कक्षा 6 से 12 तक आवासीय शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इनमें से 75 प्रतिशत सीटें एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग की बालिकाओं के लिए आरक्षित हैं, जबकि 25 प्रतिशत सीटें बीपीएल परिवारों की बेटियों के लिए हैं। यह व्यवस्था उन बालिकाओं के लिए एक जीवनरेखा साबित हुई है, जिन्हें पहले शिक्षा का अवसर मुश्किल से मिल पाता था।
सभी विद्यालयों में आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। खान एकेडमी के सहयोग से ऑनलाइन अभ्यास की सुविधा भी है, और आईआईटी गांधीनगर की मदद से ‘क्यूरियॉसिटी प्रोग्राम’ चलाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ‘एक शब्द एक सूत्र’ पहल के अंतर्गत हर दिन बालिकाओं को नया शैक्षिक कंटेंट मिलता है। हर बालिका का नियमित शैक्षिक मूल्यांकन और रेमेडियल क्लासेज भी आयोजित की जाती हैं।
केजीबीवी की बालिकाएँ अब खेलों के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। प्रदेश की 222 बालिकाओं ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में और 35 बालिकाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेकर अपनी प्रतिभा साबित की है। 'एक केजीबीवी एक खेल' योजना के तहत बच्चियों को खेलों में विशेषज्ञता दिलाई जा रही है।
सभी विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड, ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली और सुरक्षित बाउंड्रीवॉल की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया है। अब तक 9.55 लाख से अधिक बालिकाओं को रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण (जूडो-कराटे) दिया गया है। इसके अतिरिक्त 80,000 बालिकाओं को गरिमा कार्यक्रम के अंतर्गत एमएचएम प्रशिक्षण दिया गया है और 2.60 लाख से अधिक बच्चियों को अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया है।
बेटियों को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन कौशल, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल दक्षता से भी लैस किया जा रहा है। 1.87 लाख बालिकाओं को वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण दिया गया है। 2.28 लाख बालिकाओं को डिजिटल कुशलता प्रशिक्षण मिला है। 1.03 लाख बालिकाओं को पावर एंजिल के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। 45 हजार से अधिक सुगमकर्ता और 38 हजार शिक्षिकाएँ दीक्षा ऐप से जीवन कौशल प्रशिक्षण पा चुकी हैं।
केजीबीवी की बेटियों ने अपनी मेहनत और लगन से प्रदेश का नाम रोशन किया है। इनमें उन्नाव की अर्चना निषाद अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनीं। अमरोहा की निधि एसडीएम के पद पर चयनित हुईं। महोबा की निंदा खातून ने नीट परीक्षा पास कर एमबीबीएस में प्रवेश पाया। प्रयागराज की संध्या सरोज और प्रतापगढ़ की रिया पटेल जापान भ्रमण पर गईं।
सरकार ने इन विद्यालयों में कंप्यूटर लैब, अतिरिक्त डॉरमेट्री, टॉयलेट ब्लॉक, ओपन जिम, एस्ट्रोनॉमिकल लैब और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। इसके साथ ही, माध्यमिक विद्यालयों में भी सीसीटीवी कैमरे, हेल्पलाइन पट्टिका, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन और नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की गई है।