क्या यूपी में ब्राह्मण विधायकों की बैठक से सियासत में उबाल आया?
सारांश
Key Takeaways
- ब्राह्मण विधायकों की बैठक ने राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ावा दिया है।
- भाजपा विधायक पीएन पाठक ने इसे एक सामाजिक मुलाकात बताया।
- विपक्ष ने इसे राजनीतिक रणनीति से जोड़कर देखा है।
- बैठक में ब्राह्मण समाज की समस्याओं पर चर्चा हुई।
- प्रदेश में विभिन्न वर्गों में असंतोष बढ़ रहा है।
लखनऊ, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार शाम को आयोजित ब्राह्मण विधायकों की बैठक ने राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है। यह बैठक कुशीनगर से भाजपा विधायक पीएन पाठक (पंचानंद पाठक) के लखनऊ स्थित निवास पर हुई। जैसे ही इस बैठक की जानकारी मिली, राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई।
भाजपा विधायक पीएन पाठक ने बैठक को लेकर स्पष्ट करते हुए कहा कि इसे किसी राजनीतिक रणनीति या गुटबाजी से जोड़ना गलत है। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले विधानसभा में बैठे-बैठे लिट्टी-चोखा कार्यक्रम का विचार आया था। उनके घर पर इसकी व्यवस्था संभव थी, इसलिए सभी को आमंत्रित किया गया। यह पूरी तरह एक अनौपचारिक और सामाजिक मुलाकात थी, जिसमें संगठन और विकास से जुड़ी चर्चाएँ हुईं।
पीएन पाठक ने कहा, "जब लोग एक साथ होते हैं, तो स्वाभाविक है कि परिवार और समाज के विषयों पर बातचीत होती है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है, क्योंकि उनके पास कोई ठोस सवाल नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि ब्राह्मण समाज हमेशा से बीजेपी के साथ रहा है।
भाजपा विधायक ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि विपक्ष बार-बार यह कहने की कोशिश कर रहा है कि ब्राह्मण समाज की अनदेखी हो रही है, जबकि सच्चाई यह है कि ब्राह्मण समाज ने हमेशा भाजपा का साथ दिया है। "हम पार्टी के कार्यकर्ता हैं, यहाँ जात-पात की राजनीति नहीं होती।"
इस बैठक पर निषाद पार्टी के विधायक अनिल कुमार त्रिपाठी ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि ब्राह्मण समाज हमेशा सभी के कल्याण के लिए काम करता आया है। उन्होंने चिंता जताई कि प्रदेश और देश में ब्राह्मण समाज पर हमले और तनाव की खबरें गंभीर हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या बैठक में किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को आगे लाने या नेतृत्व को लेकर बात हुई, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। आर्थिक मदद या एफआईआर जैसे मुद्दों पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह काम विधायक नियमित रूप से करते हैं।
यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने जातिगत राजनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश पहले कृषि प्रधान था, अब जाति प्रधान बन गया है। उन्होंने कहा, "जब तक तहसीलों में जाति प्रमाण पत्र बनते रहेंगे, तब तक जातिवाद खत्म नहीं होगा।"
विपक्ष ने बैठक को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया। सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा कि यह बैठक उन लोगों की है, जिनकी सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि विभिन्न वर्गों के लोग अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर हैं।
अमिताभ ने यह भी कहा कि पहले ठाकुर समाज की बैठक हुई थी और अब ब्राह्मण विधायकों की बैठक हो रही है। यह साफ संकेत है कि समाज के विभिन्न वर्ग असहज महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ठेके और बड़े पदों पर नियुक्तियाँ एक खास वर्ग तक सीमित होती जा रही हैं।
उनका कहना है कि भाजपा में किसी भी वर्ग की सुनवाई नहीं हो रही। सत्ता में सिर्फ एक वर्ग की चल रही है, बाकी सब उपेक्षित हैं।