क्या यूपी में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- गिरोह का भंडाफोड़ लखनऊ में एसटीएफ द्वारा किया गया।
- फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले पांच सदस्य गिरफ्तार हुए।
- गिरोह ने एक लाख से अधिक फर्जी प्रमाण पत्र बनाए हैं।
- आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- सामाजिक सुरक्षा के उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
लखनऊ, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लखनऊ में एसटीएफ ने एक संगठित गिरोह का खुलासा किया है जो फर्जी वेबसाइट और सॉफ्टवेयर के माध्यम से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कर रहा था। पुलिस ने इस गिरोह के पांच सदस्यों- लाल बिहारी, रवि वर्मा, सोनू वर्मा, बंशराज वर्मा और सत्यरोहन को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी लखनऊ और गोंडा के मोतीनगर थाना क्षेत्र से पकड़े गए।
एसटीएफ की टीम ने पुलिस उपाधीक्षक सुधांशु शेखर के मार्गदर्शन में जांच शुरू की और सूचना तंत्र को सक्रिय किया। उपनिरीक्षक नरेन्द्र सिंह की टीम को जानकारी मिली कि आरोपी लाल बिहारी हरदोई से लखनऊ आ रहा है, जो इस गिरोह का सदस्य है। टीम ने दुबग्गा चौराहे के पास उसे पकड़ लिया और उसकी तलाशी में फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बरामद हुए।
पूछताछ में लाल बिहारी ने बताया कि वह हरदोई में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर कार्यरत है और अपने साथी रवि वर्मा के साथ मिलकर यह अवैध धंधा चला रहा था। इसके बाद एसटीएफ ने गोंडा जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र से उसके चार साथियों को भी गिरफ्तार किया।
रवि वर्मा ने कहा कि वे लोग ऑनलाइन फर्जी वेबसाइट बनाकर अवैध कमाई कर रहे थे। उन्होंने इन वेबसाइट्स को यूस्टेबल कंपनी के सर्वर और क्लाउड डाटाबेस से जोड़ा हुआ था। गूगल, यूट्यूब और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ये वेबसाइट तैयार करते और फिर लॉगिन आईडी और पासवर्ड बेचकर पैसे कमाते थे।
अब तक इस गिरोह ने लगभग 1,40,000 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और 2,500 फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए हैं। ये लोग प्रति प्रमाण पत्र 600 से 1000 रुपये तक वसूलते थे।
रवि वर्मा के खिलाफ पहले भी धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। सभी आरोपियों पर साइबर थाने, लखनऊ में आईटी एक्ट और बीएनएस की कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।