क्या यूपी में 'काऊ टूरिज्म' से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया कदम
- प्रत्येक जनपद में आदर्श गोशाला की स्थापना
- 'काऊ टूरिज्म' के माध्यम से रोजगार के अवसर
- महिला स्वयं सहायता समूहों का योगदान
- गाय के गोबर से बने उत्पादों का उपयोग और प्रचार
लखनऊ, १४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नई पहल आरंभ की है। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश की सभी गोशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना है। इसके तहत, प्रत्येक जनपद में एक आदर्श गोशाला की स्थापना की जाएगी, जिसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस पहल के माध्यम से 'काऊ टूरिज्म' की संभावनाओं की खोज की जाएगी, ताकि गोशालाएं न केवल आत्मनिर्भर बन सकें, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के अवसर भी प्रदान कर सकें। सरकार का उद्देश्य है कि गाय से प्राप्त पदार्थों जैसे गोबर, गोमूत्र, दूध, घी और मूत्रजनित उत्पादों का व्यावसायिक उपयोग बढ़ाया जाए। इस प्रक्रिया में महिला स्वयं सहायता समूहों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि स्थानीय स्तर पर गोबर से बने उत्पादों का निर्माण और विपणन किया जा सके।
इस संदर्भ में, दीपावली पर्व पर गाय के गोबर से बने दीपों, मूर्तियों और अन्य उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि इस अवसर पर गोबर से बने दीप, मूर्तियां और सजावटी सामग्री के उपयोग को लेकर बड़े स्तर पर गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास मुकेश मेश्राम के अनुसार, अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि गोशालाओं में गोबर और गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग के लिए स्थानीय योजनाएं तैयार की जाएं। उनका मानना है कि इस पहल से गोशालाओं की आत्मनिर्भरता के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस योजना से यह उम्मीद की जा रही है कि उत्तर प्रदेश में न केवल गोवंश संरक्षण को नई प्राथमिकता मिलेगी, बल्कि गौ-आधारित उत्पादों के माध्यम से स्वदेशी उद्योगों को भी एक नई पहचान मिलेगी।