क्या यूपी में आईपीएस अधिकारियों का तबादला कानून व्यवस्था को प्रभावित करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कानून व्यवस्था पर ध्यान।
- आईपीएस अधिकारियों के तबादले से नई जिम्मेदारियों का वितरण।
- कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सतर्कता का महत्व।
- धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा में वृद्धि।
लखनऊ, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा सजग रहते हैं। इसी संदर्भ में राज्य में एक बार फिर आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं।
लखनऊ के पूर्व कमिश्नर एसबी शिरडकर को पुलिस महानिदेशक/अपर पुलिस महानिदेशक, लखनऊ जोन से पुलिस महानिदेशक, पुलिस प्रोन्नति एवं भर्ती बोर्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अपर पुलिस महानिदेशक पीएसी में तैनात सुजीत पांडेय को लखनऊ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक बनाया गया है। इसके अलावा, आरके स्वर्णकार को अपर पुलिस महानिदेशक, पीएसी, मुख्यालय का दायित्व सौंपा गया है। वे पहले अपर पुलिस महानिदेशक, एपीटीसी, सीतापुर में तैनात थे।
आशीष तिवारी को सहारनपुर का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है। पहले वे पुलिस अधीक्षक, सीआईडी, लखनऊ के पद पर थे। इसके अतिरिक्त, सहारनपुर के एसएसपी रोहित सिंह राजयान को पुलिस अधीक्षक, सम्बद्ध मुख्यालय, पुलिस महानिदेशक भेजा गया है।
ज्ञातव्य है कि यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी हमेशा सक्रिय रहते हैं। हाल ही में उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि आगामी 11 जुलाई से 9 अगस्त तक पवित्र श्रावण मास रहेगा, जिसके दौरान पारंपरिक कांवड़ यात्रा, श्रावणी शिवरात्रि, नागपंचमी और रक्षाबंधन जैसे पर्व मनाए जाएंगे। इसी अवधि में 27 जून से 08 जुलाई तक जगन्नाथ रथ यात्रा और 27 जून से 06/07 जुलाई तक मोहर्रम के आयोजन संभावित हैं। यह सभी आयोजन प्रदेश की कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होंगे।
उन्होंने कहा कि यह यात्रा आस्था, अनुशासन और उल्लास का प्रतीक है। उत्तराखंड सीमा से सटे जनपदों सहित गाजियाबाद, मेरठ, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, काशी, बाराबंकी और बस्ती जैसे जिलों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। अंतर्राज्यीय समन्वय को लगातार बनाए रखना आवश्यक है। यात्रा मार्ग पर डीजे, ढोल-ताशा और संगीत की ध्वनि निर्धारित मानकों के अनुरूप होनी चाहिए। कानफोड़ू आवाज, भड़काऊ नारे और परंपरा से भिन्न रूट परिवर्तन किसी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होंगे। ताजिया, रथ या कांवड़ यात्रा में प्रयुक्त डीजे की ऊँचाई भी नियत सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि किसी शोभायात्रा के लिए पेड़ काटना, झुग्गियां हटाना या गरीबों का आश्रय उजाड़ना कदापि स्वीकार्य नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि धार्मिक यात्राओं में अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन और धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक उपयोग सौहार्द को खंडित करने वाले तत्व हैं, जिन पर पूरी सख्ती से रोक लगनी चाहिए।