क्या उपराष्ट्रपति चुनाव ने कांग्रेस के भीतर देश और पार्टी के हितों में मतभेद उजागर कर दिए?

सारांश
Key Takeaways
- उपराष्ट्रपति चुनाव ने कांग्रेस के भीतर मतभेदों को उजागर किया है।
- गुलाम अली खटाना ने देश को प्राथमिकता देने की बात की है।
- सीपी राधाकृष्णन के अनुभव का सदन में लाभ होगा।
- युवाओं की जागरूकता भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
- भारत की विदेश नीति बराबरी पर आधारित है।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के चुनाव और इस दौरान क्रॉस-वोटिंग की चर्चा पर भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने कहा कि इस चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है कि अधिकांश इंडी गठबंधन के सांसदों ने तय कर लिया है कि जब पार्टी और देश के हितों का सवाल होगा, तो वे देश को प्राथमिकता देंगे।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के अंदर इस बात पर मतभेद स्पष्ट रूप से देखने को मिला कि क्या देश को प्राथमिकता देनी चाहिए या पार्टी को।
उन्होंने सीपी राधाकृष्णन के लंबे अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि राज्यसभा के सदस्यों को उनके अनुभव से लाभ होगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, "सीपी राधाकृष्णन को भारत के उपराष्ट्रपति बनने पर बधाई। राज्यसभा के सदस्य के रूप में, मैं आपके नेतृत्व और दूरदर्शिता का स्वागत करता हूं, जो हमारी संसदीय लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।"
भाजपा सांसद ने डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के बीच सोशल मीडिया पर हुई बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत एक उभरती हुई शक्ति है। पीएम मोदी के नेतृत्व में युवाओं ने देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। बिहार की जनता का मूड भी पीएम मोदी के समर्थन में है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति ऐसी है कि हम बराबरी की बात करते हैं।
नेपाल में हुई हिंसा पर भाजपा सांसद ने कहा कि युवा एक जिम्मेदार सरकार चाहते हैं। ऐसी सरकार जो जनता के प्रति जवाबदेह हो, लेकिन युवा अब भ्रष्टाचार बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। पीएम और राष्ट्रपति ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हम नेपाल में शांति की कामना करते हैं।