क्या उपराष्ट्रपति ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि दी?

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क्या उपराष्ट्रपति ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि दी?

सारांश

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने गुरु जी के बलिदान को नैतिक साहस और मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। जानें उनके अनमोल विचार और भारत की विविधता में एकता का महत्व।

Key Takeaways

  • गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान मानवता के लिए एक प्रेरणा है।
  • उपराष्ट्रपति ने नैतिक साहस की आवश्यकता पर बल दिया।
  • भारत की विविधता में एकता की ताकत है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए गुरु जी का योगदान अविस्मरणीय है।
  • गुरु जी का संदेश आज भी प्रासंगिक है।

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब की यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन और बलिदान पूरी मानवता के लिए एक नैतिक साहस की मिसाल है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत धार्मिक स्वतंत्रता के इतिहास की सबसे असाधारण पुष्टि है। उन्होंने बताया कि गुरु ने अपने जीवन को राजनीतिक सत्ता या किसी विश्वास की श्रेष्ठता के लिए नहीं, बल्कि व्यक्ति की आंतरिक आत्मा के अनुसार जीने और पूजा करने के अधिकार की रक्षा के लिए बलिदान किया।

उपराष्ट्रपति ने गुरु तेग बहादुर जी के संदेश की शाश्वत प्रासंगिकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि उन्होंने करुणा से निर्देशित साहस के माध्यम से समाजों में परिवर्तन लाने का तरीका सिखाया। उन्होंने कहा कि अन्याय के सामने चुप्पी उचित नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि गुरु तेग बहादुर जी को न केवल एक सिख गुरु के रूप में, बल्कि सर्वोच्च बलिदान और नैतिक साहस के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, और उन्हें 'हिंद दी चादर' की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत की ताकत उसकी विविधता में एकता है। भारत ने सदियों से विभिन्न धर्मों, दर्शनों, और संस्कृतियों का स्वागत किया है, जो संविधान निर्माताओं द्वारा मौलिक अधिकारों के माध्यम से स्थापित किया गया है।

उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के आह्वान का उल्लेख किया और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

उपराष्ट्रपति ने वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए बताया कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता में वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के वैश्विक विषय में बदल दिया है।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन सहित जटिल वैश्विक समस्याओं का समाधान देने के लिए भारत की भूमिका का भी उल्लेख किया।

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान भारत की भावना से गहराई से जुड़ा हुआ है, एक ऐसा देश जहाँ एकता आपसी सम्मान और समझ से बनती है। उनका संदेश आज और भी अधिक प्रासंगिक है कि शांति को न्याय, सहानुभूति, और मानवीय गरिमा के आधार पर ही स्थापित किया जा सकता है।

Point of View

बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति और विविधता में एकता के संदेश को भी प्रबल करता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम सभी को एक साथ मिलकर एक बेहतर समाज की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान क्यों महत्वपूर्ण है?
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता के अधिकारों के लिए एक गहरा संदेश देता है।
उपराष्ट्रपति ने गुरु जी के बारे में क्या कहा?
उपराष्ट्रपति ने गुरु जी को नैतिक साहस का प्रतीक और मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
भारत की विविधता में एकता का क्या महत्व है?
भारत की ताकत उसकी विविधता में एकता है, जो विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के साथ सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित करती है।
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