क्या क्रिसमस शांति, करुणा और मानवता की सेवा के मूल्यों का उत्सव है?

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क्या क्रिसमस शांति, करुणा और मानवता की सेवा के मूल्यों का उत्सव है?

सारांश

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने क्रिसमस समारोह में भाग लेकर ईसाई समुदाय को शुभकामनाएं दी। उन्होंने भारत में ईसाई धर्म के योगदान और क्रिसमस के मूल्यों पर चर्चा की। क्या क्रिसमस केवल एक त्योहार है या यह मानवता के लिए एक गहरा संदेश है?

Key Takeaways

  • क्रिसमस शांति और करुणा का प्रतीक है।
  • ईसाई समुदाय का भारत में महत्वपूर्ण योगदान है।
  • सामूहिक प्रयास विकास के लिए आवश्यक हैं।
  • भारत की बहुलता में उसकी ताकत है।

नई दिल्ली, १८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार को नई दिल्ली में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लिया और त्योहार से पहले ईसाई समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दीं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि क्रिसमस शांति, करुणा, विनम्रता और मानवता की सेवा जैसे सार्वभौमिक मूल्यों का उत्सव है।

उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु मसीह द्वारा सिखाए गए प्रेम, सद्भाव और नैतिक साहस का संदेश शाश्वत प्रासंगिकता रखता है और भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो सहअस्तित्व, करुणा और मानवीय गरिमा के सम्मान पर जोर देती हैं।

उपराष्ट्रपति ने भारत में ईसाई धर्म की लंबी उपस्थिति को याद करते हुए भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और विकास यात्रा में ईसाई समुदाय के मौन लेकिन महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला।

उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुधार और मानव विकास के क्षेत्र में समुदाय के निरंतर प्रयासों की सराहना की।

सीपी राधाकृष्णन ने अपने व्यक्तिगत अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें कई ईसाई संगठनों के साथ घनिष्ठ संपर्क स्थापित करने का अवसर मिला।

उन्होंने सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोयंबटूर के एक चर्च में हर साल क्रिसमस मनाने और वहां साझा की गई आपसी समझ की भावना को भी याद किया।

उन्होंने तमिलनाडु से एक ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कॉन्स्टेंटाइन जोसेफ बेस्ची (वीरममुनिवर) के योगदान को याद किया, जिन्होंने तमिल साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया और भारत में ईसाई परंपरा द्वारा पोषित गहन सांस्कृतिक एकीकरण को रेखांकित किया।

भारत की बहुलतावादी भावना पर जोर देते हुए सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि भारत की एकता एकरूपता में नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और साझा मूल्यों में निहित है।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देशवासियों को कोई भय नहीं होना चाहिए, क्योंकि देश में शांति और सद्भाव व्याप्त है।

क्रिसमस की भावना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त किए गए 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के बीच समानता बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार क्रिसमस विभिन्न धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है और खुशी का संचार करता है, उसी प्रकार 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का विचार नागरिकों से भारत की विविधता का जश्न मनाते हुए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होने का आह्वान करता है।

उपराष्ट्रपति ने सभी हितधारकों से 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में अपना रचनात्मक योगदान जारी रखने का आग्रह किया।

उन्होंने सभी समुदायों से गरीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि की ओर बढ़ने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया कि विकास के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि भारत का कैथोलिक बिशप सम्मेलन 1944 से अस्तित्व में है और इसने स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों और धर्मार्थ संस्थानों का एक व्यापक नेटवर्क बनाया है, जिससे यह आम नागरिकों के जीवन से घनिष्ठ रूप से जुड़ा रहने में सक्षम है।

Point of View

और हमें एकजुट होकर विकास की दिशा में काम करना चाहिए।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

क्रिसमस का अर्थ क्या है?
क्रिसमस का अर्थ है प्रभु यीशु मसीह का जन्मोत्सव, जो शांति और प्रेम का संदेश फैलाता है।
उपराष्ट्रपति का क्रिसमस पर क्या कहना है?
उपराष्ट्रपति ने कहा कि क्रिसमस शांति, करुणा और मानवता की सेवा के मूल्यों का उत्सव है।
क्या ईसाई समुदाय का भारत में योगदान है?
ईसाई समुदाय ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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