क्या पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिंदर सिंह ने लालू को न छूने की सलाह दी थी? उपेंद्र नाथ बिस्वास का खुलासा
सारांश
Key Takeaways
- 1990 का चारा घोटाला भारत के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक है।
- उपेंद्र नाथ बिस्वास ने जोगिंदर सिंह के दबाव का सामना किया।
- राजनीति में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है।
- अदालतों की निगरानी ने जांच में मदद की।
- बिहार में पशुपालन विभाग के अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
कोलकाता, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 1990 के दशक के 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले की मुख्य जांचकर्ता और पूर्व सीबीआई के संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने रविवार को इस घोटाले से जुड़े कई महत्वपूर्ण खुलासे किए। उन्होंने बताया कि पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह ने उन पर राजद अध्यक्ष और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार न करने का दबाव बनाया था।
एक विशेष साक्षात्कार में उपेंद्र नाथ बिस्वास ने साझा किया कि कैसे 1996-1997 के दौरान पूर्व सीबीआई प्रमुख ने उन्हें कार्यालय में बुलाकर लालू यादव के खिलाफ नरम रुख अपनाने के लिए राजी करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, 'क्या आपको लगता है कि लालू यादव ही एकमात्र भ्रष्ट राजनेता हैं? भारत में सभी राजनेता भ्रष्ट हैं। आप लालू को क्यों परेशान कर रहे हैं?' जोगिंदर सिंह ने उनसे कहा, 'कुछ ऐसा करो कि लालू बच जाएं। किसी के भी पीछे पड़ जाओ, लेकिन लालू को मत छुओ।'
बिस्वास ने बताया कि तत्कालीन सीबीआई निदेशक ने उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि अगर वे लालू को छोड़ देंगे तो कोई प्रतिकूल न्यायिक परिणाम नहीं होगा। चारा घोटाले की जांच के बारे में एक और तथ्य साझा करते हुए 84 वर्षीय बिस्वास ने कहा कि उनकी टीम को व्यवस्था के भीतर कुछ ईमानदार अधिकारियों का समर्थन मिला।
उन्होंने कहा कि चारा घोटाला मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ एक युवा आईएएस अधिकारी का फोन कॉल था, जिसने उन्हें अपने कार्यालय में मिलने और मामले से संबंधित दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करने के लिए कहा।
बिस्वास ने कहा कि अदालतों की कड़ी निगरानी के कारण ही वह लालू प्रसाद यादव पर नरम रुख अपनाने वाले अपने वरिष्ठों के दबाव का सामना करने में सफल रहे।
सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक ने बताया कि चारा घोटाला 1990-91 और 1995-96 के बीच सामने आया था। इसके अंतर्गत बिहार पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों ने बेईमान सप्लायर्स और अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन सप्लायर्स को भुगतान करने के बहाने सैकड़ों करोड़ रुपए निकाले और गबन किए, जिन्होंने चारा और पशुओं के इलाज के नाम पर फर्जी बिल जमा किए थे।