क्या उत्तर प्रदेश में अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई?

सारांश
Key Takeaways
- अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता पुनर्स्थापित हुई।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाई।
- मऊ सदर क्षेत्र में अब उपचुनाव की आवश्यकता नहीं है।
- अंसारी परिवार की क्षेत्र में मजबूत पकड़ है।
- सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
लखनऊ, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के दिवंगत बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता पुनर्स्थापित कर दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी सजा पर रोक लगाए जाने के पश्चात, उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल करने का आदेश जारी किया।
इस निर्णय के परिणामस्वरूप मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की आवश्यकता नहीं होगी।
विधानसभा सचिवालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार अब्बास अंसारी की सदस्यता तत्काल प्रभाव से बहाल की जाती है।
प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अब्बास अंसारी की सदस्यता बहाली का आदेश जारी किया।
अब्बास अंसारी को 31 मई को स्थानीय एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा एक फौजदारी मामले में दो वर्ष की सजा सुनाई गई थी, जिसके आधार पर उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। हालाँकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता बहाल कर दी।
अब्बास अंसारी पर 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप था। इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके चलते उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
अब्बास अंसारी के लिए यह एक बड़ी राहत मानी जा रही है, क्योंकि उनकी सदस्यता रद्द होने से क्षेत्र में उपचुनाव की संभावना बढ़ गई थी।
अंसारी परिवार की मऊ सदर सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। अब्बास अंसारी के पिता मुख्तार अंसारी का इस क्षेत्र में लंबे समय तक प्रभाव रहा है और अब्बास ने भी इस सीट पर 2022 के चुनाव में जीत हासिल की थी।