क्या जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार कार्यक्रम में ५० हजार समस्याओं का निस्तारण हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- जनता की समस्याओं का शीघ्र समाधान
- प्रत्यक्ष संवाद की आवश्यकता
- प्रशासन का सक्रियता से कार्य करना
- स्थानीय आवश्यकताओं की समझ
- समाज में सकारात्मक बदलाव
देहरादून, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रारंभ की गई महत्वाकांक्षी पहल जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जनसेवा शिविर आयोजित किए गए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि अब तक ५० हजार से अधिक नागरिकों की समस्याएं सुनी जा चुकी हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संवाददाताओं से बात करते हुए बताया कि दूरदराज के क्षेत्रों में निवास करने वाले व्यक्तियों को जिला मुख्यालयों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए न्याय पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इन शिविरों में सभी प्रशासनिक विभाग और डीएम स्वयं जाकर समस्याओं को सुन रहे हैं।
उन्होंने कहा, "किसी भी स्थान पर जाएं और स्थानीय लोगों के साथ संवाद करें। समाज के सभी वर्गों से बातचीत करना आवश्यक है। इससे सरकार को स्थानीय आवश्यकताओं और चुनौतियों के बारे में महत्वपूर्ण फीडबैक प्राप्त होता है। इससे योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना आसान होता है।"
पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि सभी विभागों के अधिकारी सीधे लोगों के पास पहुंचें और उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान करें। विधायकों, मंत्रियों और मैं खुद इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगों से मिल रहा हूं। हमारा लक्ष्य है कि लोगों की समस्याएं जल्द से जल्द हल हों।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में कई स्थान ऐसे हैं जहां प्रशासनिक कार्यालय दूर हैं और लोगों को वहां पहुंचने में कठिनाई होती है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए कार्य चल रहा है। इसके साथ ही, उन्हें आने-जाने में अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है। कुछ समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाता है, जबकि कुछ एक सप्ताह के भीतर ही हल की जाती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग के उच्च अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि इस कार्यक्रम का पालन करें। यदि कोई इसमें लापरवाही करता पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। हमारी सरकार का उद्देश्य है कि लोगों की समस्याएं जल्द से जल्द हल हों।