क्या सरकार वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है? : सीएम धामी

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क्या सरकार वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है? : सीएम धामी

सारांश

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों को गरिमा और संरक्षण देने में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। जानें इस पहल के पीछे की सोच और इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • सरकार की प्रतिबद्धता वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के प्रति है।
  • भरण-पोषण अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा रहा है।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए निशुल्क आवास गृह उपलब्ध हैं।
  • जिला स्तर पर अधिकरण का गठन किया गया है।
  • संपत्ति हस्तांतरण पर विशेष प्रावधान हैं।

देहरादून, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को सुनने और उनका त्वरित समाधान करने के लिए निर्देशित किया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों को गरिमा और संरक्षण देने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसी संदर्भ में सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करें।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों से 'माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम-2007' को प्रभावी ढंग से लागू करने का अनुरोध किया। इस अधिनियम के तहत वरिष्ठ नागरिकों को उनके बच्चों, पोते-पोतियों या संपत्ति के उत्तराधिकारियों से वैधानिक रूप से भरण-पोषण मांगने का अधिकार प्राप्त है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में इस कानून के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर 13 अपीलीय भरण-पोषण अधिकरण और सब-डिवीजन स्तर पर 69 से अधिक भरण-पोषण अधिकरण कार्यरत हैं, जहां भरण-पोषण की राशि अधिकतम 10,000 रुपए प्रति माह निर्धारित की जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जिला मजिस्ट्रेट अपीलीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी होंगे, जो कानून को सख्ती से लागू करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए उत्तरदायी होंगे। इसके अलावा, सब-डिवीजन स्तर पर एसडीएम अधिकरण के पीठासीन अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी (डीसीडब्ल्यूओ) पदेन भरण-पोषण अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे।

पुष्कर सिंह धामी ने यह भी कहा कि यदि कोई वरिष्ठ नागरिक देखभाल की शर्त पर संपत्ति किसी अन्य को सौंपता है, लेकिन बाद में तय शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो अधिकरण उस हस्तांतरण को अमान्य घोषित कर संपत्ति की वापसी सुनिश्चित कर सकता है। वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। बागेश्वर, चमोली एवं उत्तरकाशी जिलों में निशुल्क वृद्ध एवं निशक्तजन आवास गृह चलाए जा रहे हैं, जहां कई जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिक निवास कर रहे हैं। राज्य में वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष रामचंद्र गौड़ हैं। शांति मेहरा, नवीन वर्मा और हरक सिंह नेगी को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी वरिष्ठ नागरिकों से अपील की है कि यदि आप जीवन-यापन में कठिनाई का सामना कर रहे हैं, तो अपने नजदीकी भरण-पोषण अधिकरण या जिला समाज कल्याण अधिकारी से तुरंत संपर्क करें।

Point of View

जो समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से हैं। वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके लिए सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम सकारात्मक दिशा में हैं।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

उत्तराखंड में वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या योजनाएं हैं?
उत्तराखंड में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, जैसे कि निशुल्क वृद्ध एवं निशक्तजन आवास गृह और भरण-पोषण अधिकरण।
वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण का अधिकार कैसे मिलता है?
वरिष्ठ नागरिकों को उनके बच्चों और पोते-पोतियों से भरण-पोषण मांगने का अधिकार 'माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम-2007' के तहत मिलता है।
क्या भरण-पोषण की राशि सीमित है?
हां, भरण-पोषण की राशि अधिकतम 10,000 रुपए प्रति माह निर्धारित की जा सकती है।
अगर कोई वरिष्ठ नागरिक संपत्ति की शर्त पर हस्तांतरित करता है और शर्तें नहीं पूरी होतीं तो क्या होगा?
अधिकरण उस संपत्ति के हस्तांतरण को अमान्य कर सकता है और संपत्ति की वापसी सुनिश्चित कर सकता है।
वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं?
जिला मजिस्ट्रेट और जिला समाज कल्याण अधिकारी वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए जिम्मेदार होते हैं।