क्या उत्तराखंड में सेब क्रांति का आगाज़ हो चुका है?

सारांश
Key Takeaways
- 100 किसानों को सम्मानित किया गया।
- सेब की खेती में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
- किसानों की आमदनी में 10 गुना वृद्धि हुई है।
- उत्तराखंड में 3,000 से अधिक 'उन्नति बागों' की स्थापना हुई है।
- युवाओं को कृषि में अवसर मिल रहे हैं।
नैनीताल, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड में सेब क्रांति को नई दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है, जिसका आयोजन हुआ ‘उन्नति उत्कृष्ट किसान सम्मान समारोह’ के तहत। इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज और कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से शुक्रवार को नैनीताल के चांफी में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस समारोह में राज्य के दूरदराज क्षेत्रों से आए 100 मेहनती किसानों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल माननीय भगत सिंह कोश्यारी थे। उन्होंने मंच से 50 चयनित किसानों को प्रशस्ति पत्र, नगद पुरस्कार, और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। कोश्यारी ने कहा कि ये किसान अब उत्तराखंड की नई पहचान बनेंगे। सेब अब केवल एक फल नहीं, बल्कि पहाड़ों की तरक्की का प्रतीक होगा। समारोह में पंतनगर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर और पूर्व डीन डॉ. शिवेंद्र कश्यप ने भी भाग लिया, जिन्होंने ‘उन्नति सेब योजना’ को आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना से किसानों की आमदनी 10 गुना तक बढ़ी है। गांवों में एक नया भरोसा और उत्साह देखने को मिला है।
इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज के संस्थापक श्री सुधीर चड्ढा ने बताया कि अब तक उत्तराखंड में 3,000 से अधिक 'उन्नति बागों' की स्थापना की जा चुकी है। यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि उत्तराखंड में ‘लाल क्रांति’ का आरंभ है। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों को जल्द ही अखरोट, कीवी, प्लम, खुमानी और बादाम की विदेशी प्रजातियों के पौधे भी दिए जाएंगे। इस वर्ष कंपनी द्वारा तैयार किए गए 5 लाख हाई-टेक फेदर प्लांट्स देशभर में सबसे बड़ा उत्पादन है। यह किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
कार्यक्रम में पूर्व सांसद बलराज पासी ने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि यह समय अपनी जमीन छोड़ने का नहीं, बल्कि उससे सोना उगलवाने का है। यदि पहाड़ के युवा नई तकनीकों से खेती करेंगे, तो उन्हें पलायन करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस समारोह में उत्तरकाशी, पुरोला, पौड़ी, देहरादून, चकराता और सांकरी जैसे दुर्गम इलाकों से आए किसानों ने भी हिस्सा लिया और अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विशेष संदेश आभासी रूप से दर्शाया गया। यह आयोजन किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला रहा और उत्तराखंड में फल उत्पादन और कृषि नवाचार की नई शुरुआत को दर्शाता है। ‘उन्नति’ को उत्तराखंड की नई कृषि क्रांति की पहचान के रूप में देखा जा रहा है।
नैनीताल के युवा किसान संतोख बिष्ट ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "मैंने आधुनिक तरीके से सेब की खेती की है, और इस तकनीक से मुझे बहुत लाभ मिल रहा है। मुझे युवा किसान का पुरस्कार भी मिला है।"
उत्तरकाशी से आए किसान चमन लाल ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले बेहद खराब थी और वे मजदूरी करते थे, लेकिन उन्होंने 750 पेड़ इंडो डच हॉर्टिकल्चर से लेकर अपने खेत में लगाए थे, जिसने अगले ही साल फल देना शुरू कर दिया, और उन्हें डेढ़ लाख का मुनाफा हुआ।
उत्तरकाशी के दानवीर सिंह रावत ने कहा, "2022 में इन पौधों को अपने खेतों में लगाया था, 2023 में फल आ गए। एक पौधे से लगभग 4 से 5 किलो फल का उत्पादन हुआ।"
नई तकनीक के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और पलायन कम हुआ है।