क्या वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं और पाकिस्तान से कारोबार समेट रही हैं?

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क्या वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं और पाकिस्तान से कारोबार समेट रही हैं?

सारांश

यह लेख बताता है कि कैसे वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं, जबकि पाकिस्तान में कारोबार समेट रही हैं। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हो रही है।
  • पाकिस्तान से कई वैश्विक कंपनियां निकल रही हैं।
  • उच्च बिजली लागत और नियामक अनिश्चितता ने कंपनियों को प्रभावित किया है।
  • भारत की बिजनेस-फ्रेंडली नीतियां इसे निवेश का आकर्षण बना रही हैं।
  • कई प्रमुख कंपनियों ने पाकिस्तान में अपने ऑपरेशंस को बंद किया है।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में लगातार वैश्विक कॉरपोरेट्स नए निवेश के साथ अपने संचालन का विस्तार कर रहे हैं। वहीं, पाकिस्तान से ये कंपनियां अपना कारोबार समेटने की दिशा में बढ़ रही हैं।

जापानी समाचार पत्र संकई शिंबुन की वेबसाइट पर कहा गया है, "यह प्रवृत्ति न केवल मैक्रोइकोनॉमिक ट्रेड को दर्शाती है, बल्कि बिजनेस कल्चर, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और संस्थागत क्षमता को भी प्रदर्शित करती है, जो निवेशकों के विश्वास और दीर्घकालिक रणनीतिक निर्णयों को प्रभावित करती है।"

प्रोफेसर पेमा ग्यालपो के अनुसार, भले ही पाकिस्तान की जनसंख्या विश्व में पांचवीं सबसे अधिक है, फिर भी वह वैश्विक कंपनियों का ध्यान आकर्षित करने में नाकाम रहा है। हाल ही में प्रॉक्टर एंड गैंबल (पीएंडजी) ने पाकिस्तान में अपने मैन्युफैक्चरिंग और कमर्शियल संचालन को बंद करने की घोषणा की है, जो व्यापक चुनौतियों का संकेत है।

पीएंडजी के बाहर निकलने के बाद शेल, फाइजर, टोटलएनर्जीज, टेलीनॉर और माइक्रोसॉफ्ट ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं। फाइजर ने 2024 में अपना कराची स्थित मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लकी कोर इंडस्ट्रीज को बेच दिया, जिससे स्थानीय उत्पादन बंद हो गया। शेल ने वर्षों के रणनीतिक पुनर्विचार के बाद 2023 में सऊदी अरब की वाफी एनर्जी को अपनी हिस्सेदारी बेच दी और पाकिस्तान में कारोबार समेट लिया।

टोटलएनर्जीज ने टोटल पार्को पाकिस्तान लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी सिंगापुर स्थित गुनवोर ग्रुप को बेच दी। विलय के असफल प्रयास के बाद, टेलीनॉर ने अपने पाकिस्तानी परिचालन को पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन कंपनी लिमिटेड को बेचने पर सहमति जताई, हालांकि नियामक मंजूरियों के कारण यह लेन-देन विलंबित हो गया है। माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में 25 साल बिताने के बाद, जुलाई 2025 में चुपचाप अपना ऑपरेशन बंद कर दिया।

पाकिस्तान से कंज्यूमर गुड्स, एनर्जी, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार और टेक्नोलॉजी समेत सभी क्षेत्र की कंपनियां कारोबार समेट रही हैं, जो प्रणालीगत समस्याओं का संकेत देती हैं। उद्योग के नेताओं का मानना है कि इसका कारण उच्च बिजली लागत, नियामक अनिश्चितता और बुनियादी ढांचे की बाधाएं हैं।

जिलेट पाकिस्तान के पूर्व सीईओ साद अमानुल्लाह खान ने कहा कि इस तरह की निकासी नीति निर्माताओं के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स की कमी, बार-बार बिजली कटौती और अनुमोदन में देरी ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए कुशलतापूर्वक संचालन करना लगातार कठिन बना दिया है।

दूसरी ओर, भारत एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब के रूप में उभर रहा है। अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 81 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आकर्षित किया है। इसकी वजह देश का आर्थिक विकास, मध्यम वर्ग की बढ़ती आर्थिक क्षमता और बिजनेस-फ्रेंडली नीतियां हैं।

Point of View

भारत में निवेश का बढ़ता प्रवाह दर्शाता है कि देश की आर्थिक नीतियां और विकास की दिशा सही है।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत में वैश्विक कंपनियों का निवेश क्यों बढ़ रहा है?
भारत में आर्थिक विकास, मध्यम वर्ग की बढ़ती आर्थिक क्षमता और बिजनेस-फ्रेंडली नीतियों के कारण वैश्विक कंपनियों का निवेश बढ़ रहा है।
पाकिस्तान से कंपनियां क्यों जा रही हैं?
पाकिस्तान में उच्च बिजली लागत, नियामक अनिश्चितता और बुनियादी ढांचे की समस्याएं कंपनियों के लिए ऑपरेशन को कठिन बना रही हैं।
क्या भारत एक निवेश हब बन रहा है?
हाँ, भारत में विदेशी निवेश का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है, जिससे यह एक प्रमुख निवेश हब बनता जा रहा है।
कौन सी कंपनियां पाकिस्तान से बाहर जा रही हैं?
प्रॉक्टर एंड गैंबल, शेल, फाइजर, टोटलएनर्जीज, टेलीनॉर और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां पाकिस्तान से बाहर जा रही हैं।
भारत में निवेश के लिए कौन से क्षेत्र प्रमुख हैं?
भारत में टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और कंज्यूमर गुड्स जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं।