क्या वीरेंद्र सचदेवा ने मालेगांव केस में न्याय की जीत का स्वागत किया?

सारांश
Key Takeaways
- हिंदू आतंकवाद की थ्योरी की हार हुई है।
- कांग्रेस और सहयोगी पार्टियों ने हिंदुओं को बदनाम करने का प्रयास किया।
- भाजपा सरकार ने जलभराव की समस्या को नियंत्रित किया।
- सौरभ भारद्वाज को 2015 से 2018 के बीच के भ्रष्टाचार का जवाब देना होगा।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने डिसिल्टिंग ऑडिट को लेकर 'आप' नेता सौरभ भारद्वाज पर हमला बोला। उन्होंने एनआईए की स्पेशल कोर्ट द्वारा मालेगांव केस के संबंध में दिए गए निर्णय का स्वागत किया।
सचदेवा ने कहा कि हिंदू आतंकवाद की थ्योरी की पराजय और न्याय की जीत हुई है। झूठे मामलों में हिंदुओं को टारगेट करके फंसाने का प्रयास किया गया था, जो इस केस के निर्णय ने आज साबित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि भगवा आतंक और हिंदू आतंक का आरोप लगाने वाले आज पूरे भारत से माफी मांगें, क्योंकि देश ने देखा था कि किस प्रकार कांग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टियों के नेताओं ने हिंदुओं के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया था। कांग्रेस ने इस देश में बहुसंख्यक समाज को बदनाम करने का प्रयास किया, लेकिन आज जब उन्हें कोर्ट के फैसले में सफलता नहीं मिली तो उनके नेता अब इस निर्णय की अपील करने की बात कर रहे हैं।
वहीं, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जिस प्रकार भाजपा सरकार ने जलभराव की समस्याओं को नियंत्रित कर तेजी से जल निकासी सुनिश्चित की है और जनता अरविंद केजरीवाल की पिछले वर्ष की नाकामियों पर सवाल उठा रही है, उससे सौरभ भारद्वाज बौखला गए हैं।
सचदेवा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में अरविंद केजरीवाल सरकार का दिल्ली जल बोर्ड और लोक निर्माण विभाग लूट का केंद्र बन गए थे और डिसिल्टिंग में मलाईदार कमाई का खेल चल रहा था, जिसके परिणामस्वरूप 2018 में एक नागरिक संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। केजरीवाल सरकार ने याचिका को लंबे समय तक टालने का प्रयास किया और 2024 में अंततः न्यायालय ने डिसिल्टिंग ऑडिट का आदेश दिया, तब सौरभ भारद्वाज जैसे तत्कालीन मंत्री ने डिसिल्टिंग करवाने की जिम्मेदारी नहीं ली, बल्कि इस आदेश को अधिकारियों पर आक्षेप लगाने का माध्यम बना लिया।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि डिसिल्टिंग ऑडिट के नाम पर बयानों का जाल बुनने वाले सौरभ भारद्वाज बताएं कि वे 2024 में डिसिल्टिंग न करने का आरोप अधिकारियों पर लगा रहे हैं, जबकि डिसिल्टिंग 2015 से 2018 के बीच भी नहीं हो रही थी, तभी 2018 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। सौरभ भारद्वाज दिल्लीवासियों को बताएं कि 2015 से दिल्ली में उनकी सरकार ने डिसिल्टिंग के नाम पर इतना भ्रष्टाचार क्यों किया कि एक नागरिक संगठन को डिसिल्टिंग ऑडिट की मांग को लेकर 2018 में न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।