क्या विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर दबाव बढ़ रहा है?

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क्या विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर दबाव बढ़ रहा है?

सारांश

विदेशी निवेशकों की बिकवाली और घरेलू निवेशकों के समर्थन के बीच, भारतीय रुपए की स्थिति में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। क्या यह आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करेगा?

Key Takeaways

  • विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर दबाव है।
  • घरेलू निवेशकों का निवेश शेयर बाजार को सहारा दे रहा है।
  • बॉन्ड यील्ड में संभावित वृद्धि हो रही है।
  • भारत का व्यापार घाटा सुधार रहा है।
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री में वृद्धि हो रही है।

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवंबर महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली के चलते भारतीय रुपए पर दबाव देखा गया। दूसरी ओर, घरेलू निवेशकों के निवेश से शेयर बाजार को सहारा मिला और बॉन्ड यील्ड में मजबूती आई।

जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2025 में रुपया करीब 6 प्रतिशत कमजोर हुआ, जबकि आमतौर पर हर साल रुपए की गिरावट लगभग 3.5 प्रतिशत रहती है। इसकी प्रमुख वजह एफआईआई का पैसा बाहर जाना और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता रही।

रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग, फाइनेंस सर्विसेज और इंश्योरेंस (बीएफएसआई) सेक्टर की स्थिति अच्छी बनी रही। बैंकों का कर्ज लगातार बढ़ा, जमा राशि में सुधार हुआ और बीमा प्रीमियम भी बढ़े। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल सेक्टर ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, जहां गाड़ियों की बिक्री में साल-दर-साल आधार पर बढ़ोतरी हुई।

बीएफएसआई के अलावा कुछ क्षेत्रों में मिला-जुला असर देखने को मिला। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े नए ऑर्डर थोड़े कम हुए, धातुओं और स्टील की कीमतों में हल्की गिरावट आई और बंदरगाहों पर माल ढुलाई की रफ्तार पिछले महीने की तुलना में धीमी रही।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के विदेशी व्यापार की स्थिति में सुधार आया है। नवंबर में व्यापार घाटा घटकर 24.5 अरब डॉलर रह गया, जो अक्टूबर में 42 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में बताया गया कि सेवाओं से होने वाली कमाई (जैसे आईटी और अन्य सेवाएं) ने देश की अर्थव्यवस्था को सहारा दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, बॉन्ड मार्केट में यह संकेत मिले कि ब्याज दरों में कटौती का दौर समाप्त हो सकता है। आरबीआई की कुछ कोशिशों और दिसंबर में 0.25 प्रतिशत की दर कटौती के बावजूद बॉंड यील्ड बढ़ती दिखीं।

बैंकों का कर्ज लगभग 11.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा और जमा राशि में 10.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। निजी बैंकों की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) घटकर 9.4 प्रतिशत हो गई, जबकि सरकारी बैंकों की एमसीएलआर 8.8 प्रतिशत पर बनी रही।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ऑटोमोबाइल के थोक बिक्री में सालाना आधार पर 22.2 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। खासकर कमर्शियल वाहनों (सीवी) की बिक्री में 26.6 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर्ज की गई।

दिसंबर में एफपीआई (विदेशी निवेशक) ने 11 कारोबारी दिनों में से 9 दिनों में शुद्ध बिकवाली की। बैंक ऑफ बड़ौदा की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता होने तक, यानी संभवतः मार्च 2026 तक, रुपए में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

Point of View

भारत के व्यापार घाटे में सुधार एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

विदेशी निवेशकों की बिकवाली से क्या असर पड़ता है?
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से भारतीय रुपए पर दबाव बढ़ता है, जिससे आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
घरेलू निवेशकों का क्या योगदान है?
घरेलू निवेशक शेयर बाजार को सहारा देते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों में निरंतरता बनी रहती है।
बॉन्ड यील्ड में बदलाव क्यों आ रहा है?
बॉन्ड यील्ड में बदलाव का कारण ब्याज दरों में संभावित कटौती का समाप्त होना हो सकता है।
भारत के व्यापार घाटे में सुधार क्यों हुआ?
भारत के व्यापार घाटे में सुधार सेवाओं से होने वाली कमाई में वृद्धि के कारण हुआ है।
क्या भविष्य में रुपए की स्थिरता संभव है?
भविष्य में रुपए की स्थिरता अमेरिकी व्यापार समझौते के बाद संभव हो सकती है।
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