क्या आज है विश्वकर्मा जयंती? जानिए इस दिन का महत्व और पूजा विधि

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क्या आज है विश्वकर्मा जयंती? जानिए इस दिन का महत्व और पूजा विधि

सारांश

आज विश्वकर्मा जयंती है, जो भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। इस दिन कारीगर और इंजीनियर अपने औजारों की पूजा करते हैं। जानें इस पर्व का महत्व और पूजा विधि।

Key Takeaways

  • भगवान विश्वकर्मा का जन्म 17 सितंबर को हुआ था।
  • इस दिन औजारों की पूजा करने से सफलता की कामना की जाती है।
  • भगवान विश्वकर्मा ने कई प्रमुख नगरों का निर्माण किया।
  • यह पर्व मेहनत और रचनात्मकता का उत्सव है।
  • भगवान ने दिव्य अस्त्रों का निर्माण भी किया है।

नई दिल्ली, १७ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्वकर्मा जयंती आज मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में वास्तुकार, इंजीनियर और शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। इस दिन कारीगर, इंजीनियर, मशीनरी से जुड़े लोग और विभिन्न व्यवसायी अपने औजारों, उपकरणों और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं। यह पूजा उनके कार्य में समृद्धि, सफलता और सुरक्षा की कामना के लिए की जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा वास्तुदेव और अंगिरसी के पुत्र हैं। कुछ ग्रंथों में उन्हें ब्रह्मा जी का मानस पुत्र या प्रजापति भी कहा गया है। उनका जन्म कन्या संक्रांति के दिन हुआ था, इसलिए हर साल १७ सितंबर को विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई जाती है।

उन्हें चार भुजाओं, सुनहरे रंग, स्वर्ण आभूषणों और शिल्प औजारों के साथ चित्रित किया जाता है। कई ग्रंथों में उनके पांच मुख, सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईशान का वर्णन मिलता है।

हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को महान शिल्पी और वास्तुविद के रूप में सम्मानित किया गया है। उन्होंने सतयुग में स्वर्गलोक, त्रेतायुग में सोने की लंका, द्वापर में द्वारका और कलियुग में हस्तिनापुरइंद्रप्रस्थ का निर्माण किया। जगन्नाथ पुरी मंदिर की विशाल मूर्तियां और रामायण का पुष्पक विमान भी उनकी कारीगरी का प्रतीक हैं।

उनके द्वारा बनाए गए पांच प्रजापति, मनु, मय, द्विज, शिल्पी और विश्वज्ञ, और तीन पुत्रियां, रिद्धि, सिद्धि और संज्ञा, प्रसिद्ध हैं। रिद्धि-सिद्धि का विवाह भगवान गणेश से और संज्ञा का विवाह सूर्यनारायण से हुआ। उनके वंशजों में यमराज, यमुना, कालिंदी और अश्विनी कुमार शामिल हैं।

इस दिन कारखानों, कार्यस्थलों और दफ्तरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग अपने औजारों को साफ करते हैं, हल्दी-चंदन लगाते हैं और भगवान विश्वकर्मा से प्रगति की प्रार्थना करते हैं। यह पर्व न केवल शिल्प कौशल का सम्मान करता है, बल्कि मेहनत और रचनात्मकता का उत्सव भी है।

भगवान विश्वकर्मा ने न केवल नगर और भवनों का निर्माण किया, बल्कि देवताओं के लिए भी दिव्य अस्त्र-शस्त्र बनाए, जिनमें भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, ब्रह्माजी का ब्रह्मास्त्र, यमराज का कालदंड तथा पाश और इंद्र देव का वज्र शामिल हैं।

Point of View

जो हमारे शिल्प कौशल और मेहनत का सम्मान करता है। यह दिन न केवल धार्मिक मान्यता रखता है, बल्कि हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। ऐसे पर्वों से समाज में एकता और सामंजस्य बढ़ता है।
NationPress
17/09/2025

Frequently Asked Questions

विश्वकर्मा जयंती कब मनाई जाती है?
विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है।
भगवान विश्वकर्मा का क्या महत्व है?
भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। उनका निर्माण कार्य हमारे लिए प्रेरणादायक है।
इस दिन क्या पूजा की जाती है?
इस दिन कारीगर और इंजीनियर अपने औजारों की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें सफलता और समृद्धि मिले।