क्या विश्वनाथन आनंद पहली बार विश्व चैंपियन बने थे?
सारांश
Key Takeaways
- विश्वनाथन आनंद ने 2000 में विश्व चैंपियन का खिताब जीता।
- आनंद का जन्म तमिलनाडु में हुआ था।
- वे पहले ग्रैंडमास्टर बने थे।
- आनंद ने पांच बार विश्व चैंपियन का खिताब जीता।
- उन्होंने युवा खिलाड़ियों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।
नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शतरंज की दुनिया में विश्वनाथन आनंद का नाम एक अत्यधिक सम्मानित स्थान रखता है। आनंद ने शह और मात के इस खेल में कई दिग्गज खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए भारत और अपनी पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया। विश्वनाथन आनंद ने कुल पांच बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। उनका पहला विश्व चैंपियन खिताब 2000 में आया।
11 दिसंबर 1969 को तमिलनाडु के मयिलादुथुराई में जन्मे आनंद को शुरू से ही शतरंज में गहरी रुचि थी। उन्होंने 6 साल की उम्र में ही अपने से बड़े खिलाड़ियों पर विजय प्राप्त करनी शुरू कर दी थी। 14 साल की उम्र में वे सब-जूनियर शतरंज चैंपियनशिप के विजेता बने और 15 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन गए। 1988 में, 19 साल की उम्र में वे देश के पहले ग्रैंडमास्टर बन गए।
साल 2000 विश्वनाथन आनंद के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उस साल उन्होंने पूरी दुनिया को चौंकाते हुए पहली बार विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। 2000 में फिडे विश्व कप का आयोजन 27 नवंबर से 24 दिसंबर तक नई दिल्ली और तेहरान में किया गया था। आनंद ने अलेक्सी शिरोव को हराकर यह खिताब जीता। यह खिताब अगले एक दशक में शतरंज में आनंद युग के आरंभ का प्रतीक था। आनंद ने 2007, 2008, 2010 और 2012 में भी विश्व चैंपियन का खिताब जीता।
56 वर्ष के आनंद ने शतरंज से पूर्ण संन्यास नहीं लिया है, लेकिन उन्होंने शीर्ष स्तर के टूर्नामेंटों में भागीदारी कम कर दी है। वे अपनी अकादमी और युवा खिलाड़ियों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कभी-कभी वे टूर्नामेंट में भाग लेते हैं और वर्तमान में फिडे के उपाध्यक्ष भी हैं।
विश्वनाथन आनंद को वैश्विक स्तर पर शतरंज की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने 1985 में अर्जुन पुरस्कार, 1988 में पद्मश्री, 1991-92 में खेल रत्न, 2001 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया है।