क्या पश्चिम बंगाल में 'बंगाल फाइल्स' पर प्रतिबंध उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- रचनात्मक स्वतंत्रता का संरक्षण आवश्यक है।
- अनौपचारिक प्रतिबंध कानून का उल्लंघन है।
- फिल्मों की स्क्रीनिंग पर आवश्यकता है।
- सभी थिएटर मालिकों को समर्थन देना चाहिए।
- संगठन की एकजुटता महत्वपूर्ण है।
मुंबई, ८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) ने पश्चिम बंगाल में फिल्म 'बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग पर लगाए गए अनौपचारिक प्रतिबंध को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह संगठन, जो फिल्म उद्योग से संबंधित ३६ एसोसिएशनों और हजारों सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है, ने बताया कि यह प्रतिबंध न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह भारत में फिल्म प्रदर्शन की स्थापित प्रक्रिया का भी खुला उल्लंघन है।
एफडब्ल्यूआईसीई ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि एक फिल्म जिसे सेंसर बोर्ड से विधिवत प्रमाणन मिल चुका है, उसे बिना किसी आधिकारिक आदेश के रोका जा रहा है। यह स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और देश के संविधान में दिए गए रचनात्मक आजादी के अधिकार का उल्लंघन है।
इस संगठन ने उन थिएटर मालिकों पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं जो इस अघोषित आदेश का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम न केवल रचनात्मक आवाजों को दबाते हैं, बल्कि आम जनता के उस लोकतांत्रिक अधिकार को भी छीनते हैं जिसके तहत वे यह तय कर सकें कि उन्हें क्या देखना है और क्या नहीं।
एफडब्ल्यूआईसीई ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस अनाधिकारिक प्रतिबंध का संज्ञान ले और यह सुनिश्चित करे कि 'बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग पूरे पश्चिम बंगाल में बिना किसी रुकावट के की जा सके।
संगठन ने राज्य के सभी थिएटर मालिकों से अपील की है कि वे बिना किसी डर या दबाव के फिल्म की स्क्रीनिंग शुरू करें। एफडब्ल्यूआईसीई ने कहा कि यह फिल्म निर्माताओं की मेहनत, निवेश और रचनात्मकता का परिणाम है, जिसे दर्शकों तक पहुंचने से रोकना अन्यायपूर्ण है।
एफडब्ल्यूआईसीई ने फिल्म के निर्माताओं के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए देशभर की निर्माता संस्थाओं से भी इस अवैध प्रतिबंध का विरोध करने की अपील की है।
प्रेस विज्ञप्ति के अंत में एफडब्ल्यूआईसीई ने स्पष्ट किया कि वह रचनात्मक स्वतंत्रता के खिलाफ किसी भी प्रयास को चुपचाप सहन नहीं करेगी।