क्या योगी सरकार की नई विपणन विकास सहायता योजना सेवा निर्यातकों के लिए फायदेमंद होगी?
सारांश
Key Takeaways
- सेवा निर्यातकों के लिए विपणन विकास सहायता योजना की शुरुआत।
- 75 प्रतिशत वित्तीय सहायता, अधिकतम 2 लाख रुपए तक।
- आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
- 12 चैंपियन सेवा क्षेत्रों में निर्यात के लिए विशेष लाभ।
- पिछले कुछ वर्षों में सेवा क्षेत्र से निर्यात में वृद्धि।
लखनऊ, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने सेवा क्षेत्र के निर्यात को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
नवीनतम उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025–30 के तहत, पहली बार सेवा निर्यातकों के लिए विशेष विपणन विकास सहायता योजना लागू की जा रही है। इससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने सेवा निर्यात के लिए अलग विपणन सहायता नीति लागू की है।
इस पहल का उद्देश्य प्रदेश के सेवा निर्यातकों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना, विपणन क्षमता को बढ़ाना और वैश्विक बाजार की मांग के अनुसार सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह योजना राज्य की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के साथ-साथ रोजगार और निवेश के नए अवसर भी उत्पन्न करेगी।
इस योजना का लाभ केवल उन्हीं सेवा निर्यातकों को मिलेगा जो निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो, उत्तर प्रदेश (यूपीईपीबी) और उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद में पंजीकृत हैं। इसके अलावा, उन्हें भारत सरकार द्वारा चिन्हित 12 चैंपियन सेवा क्षेत्रों में निर्यात करना होगा और उत्तर प्रदेश से उत्पन्न सेवाओं का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार करना होगा।
नई नीति के अंतर्गत सेवा निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनी और बायर-सेलर मीट में भागीदारी के लिए स्टॉल किराए के व्यय का 75 प्रतिशत (अधिकतम 2 लाख रुपए) और एक व्यक्ति की इकोनॉमी क्लास हवाई यात्रा पर व्यय का 75 प्रतिशत (अधिकतम 1 लाख रुपए) तक की सहायता दी जाएगी।
देश में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यापार मेलों में भागीदारी के लिए स्टॉल किराए पर अधिकतम 50 हजार रुपए और यात्रा व्यय पर 25 हजार रुपए तक की सहायता मिलेगी।
विदेशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यापार मेलों, प्रदर्शनी और बायर-सेलर मीट के आयोजन पर आयोजक संस्थाओं को कुल व्यय का 75 प्रतिशत, अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। देश में ऐसे आयोजनों के लिए अधिकतम 75 लाख रुपए तक की सहायता अनुमन्य होगी, जिसमें न्यूनतम 20 सेवा निर्यातक इकाइयों की भागीदारी अनिवार्य होगी।
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के सेवा क्षेत्र से निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वर्तमान में सेवा क्षेत्र राज्य के जीएसडीपी में लगभग 45 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जो प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। आईटी-आईटीईएस, फिनटेक, पर्यटन, स्वास्थ्य एवं कल्याण, लॉजिस्टिक्स, परिवहन, आपूर्ति श्रृंखला सेवाएं और मीडिया-ऑडियो विजुअल जैसे क्षेत्रों में निर्यात की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।
योजना के अंतर्गत आवेदन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। निर्यातक इकाइयों को मेले की समाप्ति के 120 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा। पात्र दावों का निस्तारण पहले आवत-प्रथम पावत के आधार पर किया जाएगा।