क्या यूनुस सरकार अवामी लीग के बढ़ते कद से खौफजदा है?
सारांश
Key Takeaways
- अवामी लीग की बढ़ती लोकप्रियता
- यूनुस सरकार की घबराहट
- लॉकडाउन का प्रभाव
- शेख हसीना का मामला
- बांग्लादेशी राजनीति में बदलाव
ढाका, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में अवामी लीग ने 'ढाका लॉकडाउन' की घोषणा की थी। इस प्रयास में वे काफी हद तक सफल रहे। बड़ी संख्या में लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले और सड़कों पर यातायात भी कम रहा। इसी दिन, अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने जुलाई चार्टर का उल्लेख किया और फरवरी में होने वाले चुनावों की चर्चा की, लेकिन इसका आम जनता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाका लॉकडाउन के दौरान जुलाई चार्टर का जिक्र यूं ही नहीं किया गया; यह यूनुस प्रशासन की घबराहट को दर्शाता है और यह बताता है कि उन्हें लगने लगा है कि अवामी लीग का कद बढ़ रहा है।
वास्तव में, उसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे मामले का निर्णय आना था। माहौल को देखते हुए यूनुस ने अपनी उपस्थिति का एहसास कराने का प्रयास किया।
नॉर्थ ईस्ट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन की सफलता ने आम बांग्लादेशियों के यूनुस सरकार के प्रति मोहभंग का संकेत दिया है। लोगों ने उस राजनीति को नकार दिया है जिसने अवामी लीग की सत्ता को चुनौती दी थी और उसके पतन का जश्न मनाया था।
स्थिति अब बदल चुकी है और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, जमात-ए-इस्लामी समेत अन्य दल भी इसकी गहरी समझ रखते हैं। वे भी लॉकडाउन की सफलता से चकित हैं।
रिपोर्ट आगे कहती है, "शेख हसीना पर फैसला 17 नवंबर को सुनाया जाना है। हाल के महीनों में यूनुस शासन और उनके नेता-कार्यकर्ताओं के द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयानों से जनता को अनुमान है कि निर्णय कैसे आएगा।"
शेख हसीना को सजा-ए-मौत दिए जाने की संभावना है। न केवल अवामी लीग को, बल्कि आम जनता को भी अब फैसले की चिंता नहीं है। यूनुस शासन की घबराहट दर्शाती है कि वे अवामी लीग के बढ़ते कद से खौफजदा हैं। लॉकडाउन की सफलता ने कई राजनीतिक दलों को असमंजस में डाल दिया है, जो आगामी चुनाव पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
स्थिति में बदलाव के कई कारण हैं। जैसे कि यूनुस शासन और अवामी लीग विरोधियों के बीच शेख हसीना के प्रति नफरत के साथ-साथ विदेशी और भारतीय मीडिया को दिए उनके बेबाक साक्षात्कार ने अवामी लीग की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया है।
दूसरी ओर, बांग्लादेशी मीडिया यूनुस शासन की खामियों पर चुप है क्योंकि वहां सत्ता के खिलाफ प्रेस को बोलने की अनुमति नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, यूनुस शासन का आत्मविश्वास डिगा है। इसकी कई वजहें हैं। ब्रिटेन जैसे देशों और कानूनी फर्मों ने अगस्त 2024 से ही अवामी लीग कार्यकर्ताओं और बांग्लादेश के लोगों पर हो रहे अत्याचार को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाना शुरू कर दिया है। मानवाधिकार निकायों से औपचारिक रूप से शिकायतें की जा रही हैं, और विदेशी सांसदों ने शासन के कुकृत्यों की सार्वजनिक निंदा की है।