क्या 92 प्रतिशत भारतीय युवा मुफ्त वीजा मिलने पर ग्लोबल जॉब्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- 92 प्रतिशत युवा मुफ्त वीजा मिलने पर आवेदन करना चाहते हैं।
- 57 प्रतिशत को आवेदन प्रक्रिया की जानकारी नहीं है।
- अविश्वसनीय एजेंटों के कारण 34.60 प्रतिशत को विश्वास की कमी है।
- उच्च शुल्क ने 27 प्रतिशत को हतोत्साहित किया।
- भाषा सहायता और त्वरित नौकरी मिलान प्रमुख बाधाएं हैं।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 92 प्रतिशत भारतीय युवा मुफ्त वीजा, भर्ती और प्रशिक्षण सहायता मिलने पर ग्लोबल जॉब्स के लिए आवेदन करने का इरादा रखते हैं। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई।
एआई आधारित ग्लोबल टैलेंट मोबिलिटी प्लेटफॉर्म टर्न ग्रुप ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में, विशेष रूप से बढ़ते इमिग्रेशन-सम्बंधित धोखाधड़ी के कारण, मार्गदर्शन और विश्वास की कमी और विश्वसनीय संसाधनों तक पहुँच की सीमितता, टैलेंट मोबिलिटी के लिए प्रमुख बाधाएँ हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, 57 प्रतिशत उत्तरदाताओं को आवेदन प्रक्रिया शुरू करने के तरीके के बारे में जानकारी नहीं थी।
रिपोर्ट में करियर मार्गदर्शन और पहुंच में अंतर को भी उजागर किया गया है।
लगभग 34.60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अविश्वसनीय एजेंटों और विदेशी भर्तीकर्ताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें विदेशों में काम करने को लेकर विश्वास की कमी महसूस होती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उच्च शुल्क ने 27 प्रतिशत उत्तरदाताओं को हतोत्साहित किया, जो अक्सर बेईमान या अस्पष्ट सर्विस प्रोवाइडर से जुड़े होते हैं।
विश्व स्तर पर करियर प्राप्त करने में दो सबसे महत्वपूर्ण कारक भाषा सहायता और त्वरित नौकरी मिलान थे, जिसका क्रमशः 36.5 प्रतिशत और 63.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने समर्थन किया।
टर्न ग्रुप के संस्थापक और सीईओ अविनव निगम ने कहा, "भारत दुनिया के सबसे युवा और महत्वाकांक्षी कार्यबल में से एक है, लेकिन फिर भी लाखों लोग वैश्विक अवसरों तक नहीं पहुँच पाते। अनैतिक एजेंट और भर्तीकर्ताओं का उच्च शुल्क वसूलकर उम्मीदवारों को धोखा देना इस समस्या का मुख्य कारण है।"
निगम ने आगे कहा कि युवाओं के सामने एक और बड़ी चुनौती ग्लोबल वर्कस्पेस में सुचारू रूप से बदलाव के लिए गुणवत्ता अपस्किलिंग प्रोग्राम की कमी है।
यह सर्वे हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, इंजीनियरिंग जैसे हाई-डिमांड सेक्टर के 2,500 महत्वाकांक्षी पेशेवरों पर किया गया था, जिसमें टैलेंट मोबिलिटी की प्रमुख कमियों को उजागर किया गया था।
लगभग 79 प्रतिशत उत्तरदाता हेल्थकेयर इंडस्ट्री से थे, जिसमें पैरामेडिकल स्टाफ, डेंटल असिस्टेंट्स और नर्स शामिल हैं।
जब जर्मनी, ब्रिटेन, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) और जापान जैसे देश कुशल श्रम की भारी कमी का सामना कर रहे हैं, ये आंकड़े ग्लोबल हेल्थ इकोसिस्टम में योगदान देने के लिए तैयार एक अनटैप्ड टैलेंट पूल को दर्शाते हैं।