क्या आधार से पहचान साबित करने की प्रक्रिया ने नया मुकाम हासिल किया?

Click to start listening
क्या आधार से पहचान साबित करने की प्रक्रिया ने नया मुकाम हासिल किया?

सारांश

आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन ने 6 महीनों में 100 करोड़ से 200 करोड़ लेनदेन का नया रिकॉर्ड बनाया है। यह प्रक्रिया न केवल त्वरित और सुरक्षित है, बल्कि डिजिटल भारत की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। जानिए इसके पीछे की कहानी और इसका प्रभाव।

Key Takeaways

  • आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन ने 6 महीनों में 200 करोड़ लेनदेन का आंकड़ा पार किया।
  • यह प्रक्रिया त्वरित और सुरक्षित पहचान प्रमाणन की सुविधा प्रदान करती है।
  • यूआईडीएआई और सरकार मिलकर इस तकनीक को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • यह तकनीक डिजिटल भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • समावेशी तकनीक नागरिकों को सशक्त बनाती है।

नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन ने एक नया मानक स्थापित करते हुए मात्र 6 महीनों में 100 करोड़ से 200 करोड़ लेनदेन का आंकड़ा छू लिया है।

आधार फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से, आधार धारक अपनी पहचान को तुरंत, सुरक्षित और संपर्क रहित तरीके से, कभी भी, कहीं भी, बिना किसी दस्तावेज के प्रमाणित कर सकते हैं।

इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अनुसार, 10 अगस्त, 2025 को यूआईडीएआई ने फेस ऑथेंटिकेशन के 200 करोड़ ट्रांजैक्शन का ऐतिहासिक जश्न मनाया, जो भारत के निर्बाध, सुरक्षित और कागज रहित प्रमाणीकरण की दिशा में तेजी से बढ़ते कदम को दर्शाता है।

आधार के माध्यम से पहचान साबित करने की प्रक्रिया की गति तेजी से बढ़ रही है। जहां 2024 की छमाही में 50 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए थे, वहीं लगभग पांच महीनों में यह संख्या जनवरी 2025 में दोगुनी होकर 100 करोड़ लेनदेन हो गई।

मंत्रालय ने जानकारी दी कि छह महीने से कम समय में, यह आंकड़ा फिर से दोगुना होकर 200 करोड़ के मील के पत्थर तक पहुंच गया है।

यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भुवनेश कुमार ने कहा, "इतने कम समय में 200 करोड़ आधार फेस ऑथेंटिकेशन लेनदेन तक पहुंचना, निवासियों और सेवा प्रदाताओं, दोनों के लिए आधार के सुरक्षित, समावेशी और इनोवेटिव ऑथेंटिकेशन इकोसिस्टम में विश्वास और भरोसे को दर्शाता है।"

छह महीने से भी कम समय में 100 करोड़ से 200 करोड़ लेनदेन तक का सफर इसकी मापनीयता और देश की डिजिटल रेडीनेस का प्रमाण है।"

उन्होंने आगे कहा, "गांवों से लेकर महानगरों तक, यूआईडीएआई सरकारी संस्थाओं, बैंकों और सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर आधार फेस ऑथेंटिकेशन को एक बड़ी सफलता बनाने और प्रत्येक भारतीय को अपनी पहचान को तुरंत, सुरक्षित और कहीं भी साबित करने की शक्ति प्रदान करने के लिए काम कर रहा है।"

मंत्रालय ने कहा, "यह उपलब्धि केवल संख्याओं तक सीमित नहीं है, यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे समावेशी तकनीक, जब कुशलता से उपयोग की जाती है, तो विभाजन को समाप्त कर सकती है, नागरिकों को सशक्त बना सकती है और वास्तव में आत्मविश्वास से भरे डिजिटल भविष्य की ओर भारत की यात्रा को गति दे सकती है।"

Point of View

यह कहना उचित है कि आधार फेस ऑथेंटिकेशन की वृद्धि भारत की डिजिटल क्रांति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल सुरक्षा और पहचान के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहा है, बल्कि यह नागरिकों के लिए सुविधाएं भी बढ़ा रहा है।
NationPress
20/08/2025

Frequently Asked Questions

आधार फेस ऑथेंटिकेशन क्या है?
आधार फेस ऑथेंटिकेशन एक तकनीक है जो आधार धारकों को उनकी पहचान को सुरक्षित और त्वरित तरीके से प्रमाणित करने की सुविधा देती है।
इस प्रक्रिया के फायदे क्या हैं?
यह प्रक्रिया त्वरित, सुरक्षित और संपर्क रहित है, जिससे नागरिकों को बिना दस्तावेज के अपनी पहचान साबित करने की सुविधा मिलती है।
क्या आधार फेस ऑथेंटिकेशन की प्रक्रिया विश्वसनीय है?
हां, यह प्रक्रिया विश्वसनीय है और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है, जो नागरिकों की पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
क्या यह प्रक्रिया सभी के लिए उपलब्ध है?
जी हां, यह प्रक्रिया सभी आधार धारकों के लिए उपलब्ध है, चाहे वे ग्रामीण क्षेत्र में हों या शहरी।
क्या आधार फेस ऑथेंटिकेशन का उपयोग केवल वित्तीय लेनदेन के लिए किया जा सकता है?
नहीं, इसका उपयोग कई प्रकार की सेवाओं के लिए किया जा सकता है, जैसे सरकारी सेवाएं, बैंकिंग सेवाएं आदि।