क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 अरब डॉलर बढ़कर 698.19 अरब डॉलर हो गया?

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क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 अरब डॉलर बढ़कर 698.19 अरब डॉलर हो गया?

सारांश

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 अरब डॉलर बढ़कर 698.19 अरब डॉलर हो गया है। यह वृद्धि फॉरेन करेंसी एसेट्स और स्वर्ण भंडार में वृद्धि के कारण हुई है। जानिए इस महत्वपूर्ण आर्थिक घटनाक्रम के पीछे के कारण और इसके प्रभाव को।

Key Takeaways

  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 अरब डॉलर बढ़कर 698.19 अरब डॉलर हो गया।
  • फॉरेन करेंसी एसेट्स में 1.31 अरब डॉलर की वृद्धि हुई।
  • स्वर्ण भंडार 1.2 अरब डॉलर बढ़कर 85.7 अरब डॉलर हो गया।
  • भारत का एफडीआई प्रवाह 8.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
  • भारत ने डिजिटल इकोनॉमी में 114 अरब डॉलर का ग्रीनफील्ड निवेश आकर्षित किया।

मुंबई, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.7 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 698.19 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

यह वृद्धि फॉरेन करेंसी एसेट्स में वृद्धि के कारण हुई है, जो 1.31 अरब डॉलर बढ़कर 588.93 अरब डॉलर हो गए हैं।

डॉलर में व्यक्त इन एसेट्स में यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य प्रमुख मुद्राओं के मूल्य में बदलाव का प्रभाव भी शामिल है।

स्वर्ण भंडार ने भी इस वृद्धि में योगदान दिया है, जो 1.2 अरब डॉलर बढ़कर 85.7 अरब डॉलर हो गया।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 12.6 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 18.8 अरब डॉलर हो गए, जबकि आईएमएफ के साथ भारत की रिजर्व पॉजिशन इस सप्ताह 5.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.75 अरब डॉलर हो गई।

आरबीआई समय-समय पर लिक्विडिटी को प्रबंधित करने और रुपए की विनिमय दर में अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करता है।

इस तरह के हस्तक्षेप का उद्देश्य किसी विशिष्ट विनिमय दर स्तर को लक्षित करने के बजाय व्यवस्थित बाजार स्थितियों को बनाए रखना होता है।

इस बीच, पिछले महीने के अंत में जारी आरबीआई के मासिक बुलेटिन के अनुसार, भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इस वर्ष अप्रैल में तेजी से बढ़कर 8.8 अरब डॉलर हो गया, जबकि मार्च में यह 5.9 अरब डॉलर और अप्रैल 2024 में 7.2 अरब डॉलर था।

इस एफडीआई प्रवाह का लगभग आधा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस सर्विस सेक्टर से आया।

बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि एफडीआई प्रवाह के मामले में भारत दुनिया में 16वें स्थान पर है और देश ने 2020 से 2024 के बीच डिजिटल इकोनॉमी में 114 अरब डॉलर का ग्रीनफील्ड निवेश आकर्षित किया है, जो ग्लोबल साउथ के सभी देशों में सबसे अधिक है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में भी मजबूत प्रवाह देखा गया है, मई 2025 में शुद्ध निवेश 1.7 अरब डॉलर का रहा, जिसका नेतृत्व शेयर बाजार ने किया।

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम, अमेरिका-चीन व्यापार युद्धविराम और 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए उम्मीद से बेहतर कॉर्पोरेट आय जैसे सकारात्मक वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों से समर्थित, यह लगातार तीसरा महीना था जब शेयरों में तेजी आई। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा और पोर्टफोलियो भारतीय परिसंपत्तियों की ओर बढ़ा।

Point of View

बल्कि यह विदेशी निवेशकों का विश्वास भी दर्शाता है। इस वृद्धि के पीछे जो कारण हैं, वे हमें दिखाते हैं कि हमारा अर्थव्यवस्था सही दिशा में बढ़ रही है।
NationPress
02/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार क्यों बढ़ा?
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार फॉरेन करेंसी एसेट्स और स्वर्ण भंडार में वृद्धि के कारण बढ़ा है।
इस वृद्धि का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
यह वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ाती है।
आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को कैसे प्रबंधित करता है?
आरबीआई समय-समय पर लिक्विडिटी को प्रबंधित करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करता है।
भारत में एफडीआई का प्रवाह कैसे बढ़ा?
भारत में एफडीआई का प्रवाह मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस सर्विस सेक्टर में वृद्धि के कारण बढ़ा है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?
अभी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 698.19 अरब डॉलर है।