क्या भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और रेलways का मालढुलाई में हिस्सा बढ़ेगा?

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क्या भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और रेलways का मालढुलाई में हिस्सा बढ़ेगा?

सारांश

भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आ सकती है, जिससे निर्यात और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। 2035 तक लागत 7-8 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है, जबकि रेलवे का मालढुलाई में हिस्सा भी बढ़ेगा। जानें इस रिपोर्ट में और क्या है खास!

Key Takeaways

  • भारत की लॉजिस्टिक्स लागत 2035 तक घटकर 7-8 प्रतिशत हो सकती है।
  • रेलवे का हिस्सा मालढुलाई में बढ़ेगा।
  • सड़क की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक घट सकती है।
  • डिजिटल एकीकरण से लॉजिस्टिक्स में सुधार हो रहा है।
  • सरकार का दीर्घकालिक विजन मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब बनाना है।

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की लॉजिस्टिक्स लागत 2035 तक घटकर 7-8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि वर्तमान में जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि होगी और निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 48 डील्स हुई हैं, जिसमें 2024 की तुलना में 37 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इस दौरान प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेश 659 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें अधिकांश निवेश टेक आधारित और एसेट लाइट मॉडल्स पर हो रहा है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में महत्वपूर्ण सुधार हो रहे हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश और डिजिटल एकीकरण में वृद्धि हो रही है, जो दर्शाता है कि सरकार का ध्यान एक कनेक्टेड और प्रतिस्पर्धी प्रणाली बनाने पर है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर और परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स उद्योग प्रमुख भाविक वोरा ने कहा, “नीतिगत सुधार, इन्फ्रास्ट्रक्चर के तेजी से निर्माण और डिजिटल एकीकरण के चलते भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र ने 2025 में एक संरचनात्मक परिवर्तन का अनुभव किया है।”

वोरा ने आगे कहा कि मल्टीमॉडल इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल प्लेटफॉर्म में निवेश माल ढुलाई को नया आकार दे रहा है, जीएसटी सुधारों से लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम को सुव्यवस्थित किया जा रहा है और अधिक कुशल, एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाओं की ओर बदलाव को मजबूती मिल रही है।

सरकार का दीर्घकालिक दृष्टिकोण भारत को 35 ऑपरेशनल एमएमएलपी, एआई-ड्रिवन शेड्यूलिंग और इंडो-पैसिफिक ट्रेड कॉरिडोर में गहरे एकीकरण के साथ एक डिजिटली सक्षम मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म अब 11 मंत्रालयों में 125 एपीआई को एकीकृत करता है, जिससे रियल-टाइम डेटा एक्सचेंज संभव हो रहा है और मुख्य इंटरचेंज पर रुकावट कम हो रही है।

चेन्नई, बेंगलुरु, नागपुर, इंदौर और जोगीघोपा में पांच मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क उन्नत चरण में हैं, जो भारत के मॉडल शिफ्ट एजेंडा को मजबूत कर रहे हैं।

Point of View

बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी भारत को मजबूत करेगा। यह नीतिगत सुधारों और डिजिटल एकीकरण के माध्यम से संभव हो रहा है, जो हमारे देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत की लॉजिस्टिक्स लागत कब तक कम होगी?
भारत की लॉजिस्टिक्स लागत 2035 तक कम होकर 7-8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रेलवे का मालढुलाई में हिस्सा कितना बढ़ेगा?
रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे का मालढुलाई में हिस्सा 2035 तक 40 प्रतिशत हो सकता है।
भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कितनी डील्स हुईं हैं?
2025 में भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 48 डील्स हुईं हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का लॉजिस्टिक्स पर क्या प्रभाव है?
डिजिटल प्लेटफॉर्म में निवेश से लॉजिस्टिक्स में सुधार और अधिक कुशल आपूर्ति श्रृंखलाओं की ओर बदलाव हो रहा है।
सरकार का लॉजिस्टिक्स हब बनने का क्या उद्देश्य है?
सरकार का उद्देश्य भारत को एक डिजिटली सक्षम मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करना है।
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