क्या भारत की ऊर्जा कूटनीति वैश्विक तेल बाजार को स्थिर कर रही है?: हरदीप पुरी

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क्या भारत की ऊर्जा कूटनीति वैश्विक तेल बाजार को स्थिर कर रही है?: हरदीप पुरी

सारांश

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने बताया कि भारत की ऊर्जा कूटनीति वैश्विक तेल बाजार को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने तेल आयात स्रोतों को 40 देशों तक बढ़ाया है और रूस से खरीद के माध्यम से कीमतों को नियंत्रण में रखा है।

Key Takeaways

  • भारत ने तेल आयात स्रोतों को 40 देशों तक बढ़ाया है।
  • भारत ने वैश्विक तेल मांग में 16 प्रतिशत का योगदान दिया है।
  • भारत की ऊर्जा कूटनीति वैश्विक बाजार की स्थिरता में मदद कर रही है।
  • रूस से कच्चे तेल की खरीद महत्वपूर्ण है।
  • भारत ने ऊर्जा की उपलब्धता और सामर्थ्य को बढ़ाया है।

नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि भारत की ऊर्जा कूटनीति न केवल देश के भविष्य को सुरक्षित कर रही है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में साझा किया कि भारत ने अपने तेल आयात स्रोतों का विस्तार 27 देशों से बढ़ाकर 40 देशों तक कर दिया है और देश की स्मार्ट ऊर्जा कूटनीति ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से रोकने में सहायता की है, जिसमें रूस से खरीद भी शामिल है।

उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दशक में भारत ने वैश्विक तेल मांग वृद्धि में 16 प्रतिशत का योगदान दिया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, भारत अगले 20 वर्षों में वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि में 25 प्रतिशत का योगदान देगा।

पुरी ने कहा कि रूस 9 मिलियन बैरल प्रतिदिन से अधिक के साथ सबसे बड़े कच्चे तेल उत्पादकों में से एक है, जो लगभग 97 मिलियन बैरल की वैश्विक तेल आपूर्ति का करीब 10 प्रतिशत है।

अगर यह तेल बाजार से गायब हो जाता और आपूर्ति कम हो जाती तो कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर निकल जाती।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक ऊर्जा मूल्य स्थिरता में शुद्ध सकारात्मक योगदानकर्ता रहा है, साथ ही हमने ऊर्जा उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है।"

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रूस पर कभी भी वैश्विक प्रतिबंध नहीं लगे। दुनिया भर के समझदार निर्णयकर्ता वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखलाओं की वास्तविकताओं से अवगत थे और यह भी कि भारत जहां से भी संभव हो, एक निश्चित मूल्य सीमा के तहत रियायती तेल खरीदकर वैश्विक बाजारों की मदद कर रहा था।

पुरी ने गुरुवार को कहा था कि भारत ने वैश्विक बाजार में तेल खरीदने के अपने स्रोतों में विविधता ला दी है, इसलिए सरकार रूस के तेल निर्यात पर अमेरिका की किसी भी कार्रवाई को लेकर अनावश्यक रूप से चिंतित नहीं है।

ऊर्जा वार्ता 2025 में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, "बाजार में प्रचुर मात्रा में तेल उपलब्ध है। ईरान और वेनेज़ुएला पर वर्तमान में प्रतिबंध लगे हुए हैं। लेकिन क्या वे हमेशा के लिए प्रतिबंधों के अधीन रहेंगे? ब्राजील, कनाडा और अन्य कई देश उत्पादन बढ़ा रहे हैं। मैं अभी आपूर्ति को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हूं। हमने अपने स्रोतों में विविधता ला दी है।"

केंद्रीय मंत्री का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस घोषणा के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की ऊर्जा कूटनीति न केवल देश के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो ऊर्जा उपलब्धता और स्थिरता की चुनौतियों का सामना करने में सहायक है।
NationPress
18/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत की ऊर्जा कूटनीति का उद्देश्य क्या है?
भारत की ऊर्जा कूटनीति का उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना और वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर करना है।
भारत ने तेल आयात स्रोतों को कितने देशों तक बढ़ाया है?
भारत ने अपने तेल आयात स्रोतों को 27 देशों से बढ़ाकर 40 देशों तक पहुंचा दिया है।
भारत का वैश्विक तेल मांग में योगदान कितना है?
पिछले दशक में भारत ने वैश्विक तेल मांग वृद्धि में 16 प्रतिशत का योगदान दिया है।
रूस का तेल उत्पादन कितना है?
रूस 9 मिलियन बैरल प्रतिदिन से अधिक का कच्चा तेल उत्पादक है।
भारत की ऊर्जा कूटनीति के लाभ क्या हैं?
भारत की ऊर्जा कूटनीति से ऊर्जा की उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता में सुधार हो रहा है।