क्या मजबूत कॉरपोरेट आय और सरकारी सहायता भारत में यूएस टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकती है?

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क्या मजबूत कॉरपोरेट आय और सरकारी सहायता भारत में यूएस टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकती है?

सारांश

क्या भारत अपनी मजबूत कॉरपोरेट बैलेंस शीट और सरकारी मदद के जरिए अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकता है? जानें इस रिपोर्ट में कि कैसे इन उपायों से क्रेडिट स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

Key Takeaways

  • भारत की कॉरपोरेट बैलेंस शीट मजबूत है।
  • अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों पर भिन्न हो सकता है।
  • सरकार का समर्थन प्रभावित क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते पर नजर रखी जाएगी।
  • रूस से कच्चे तेल पर टैरिफ बढ़ने से निर्यात प्रभावित हो सकता है।

नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मजबूत कॉरपोरेट बैलेंस शीट, अन्य देशों के साथ संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते और प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्रीय सरकार से सहायता की संभावना, भारत पर बढ़े हुए अमेरिकी टैरिफ के कारण उत्पन्न होने वाले क्रेडिट प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकती है। यह जानकारी क्रिसिल की रिपोर्ट में मंगलवार को दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया कि टैरिफ से प्रभावित सेक्टरों को भारत सरकार से समर्थन काफी अहम भूमिका निभा सकता है। टैरिफ ऐसे समय पर आए हैं जब कॉरपोरेट बैलेंस शीट मजबूत बनी हुई है। इससे क्रेडिट स्थिति पर असर कम होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत टैरिफ डायमंड पॉलिश, झींगा, टेक्सटाइल और कालीन उद्योग को काफी प्रभावित कर सकता है।

इसके अतिरिक्त, रूस से कच्चे तेल के आयात पर पेनल्टी के रूप में 27 अगस्त से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के कदम से इन सेक्टर्स के साथ-साथ रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी), केमिकल, एग्रोकेमिकल, कैपिटल गुड्स और सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग सहित अन्य क्षेत्रों के लिए अमेरिका को भारतीय निर्यात अव्यवहारिक हो जाएगा, जिनकी देश से होने वाले अमेरिकी निर्यात में बड़ी हिस्सेदारी है।

क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि टैरिफ का प्रभाव ग्राहकों पर बढ़ी हुई लागत डालने की क्षमता और प्रतिस्पर्धी देशों पर लगे टैरिफ के आधार पर अलग-अलग होगी। टैरिफ के एक संभावित दूसरे स्तर के प्रभाव पर भी कड़ी निगरानी की आवश्यकता है, जिसमें अमेरिकी मांग में मंदी और विभिन्न देशों के बीच असमान टैरिफ शामिल हैं, जो वैश्विक स्तर पर व्यापार की गतिशीलता को बदल सकते हैं। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच किसी भी संभावित व्यापार समझौते पर नजर रखी जाएगी।

पिछले वित्त वर्ष में भारतीय व्यापारिक निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत थी, जो कि देश की कुल जीडीपी का 2 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में कहा गया कि रेडी-मेड गारमेंट्स (आरएमजी), एग्रोकेमिकल, कैपिटल गुड्स और स्पेशियलिटी केमिकल पर 25 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ प्रबंधनीय है क्योंकि इन सेक्टर्स की आय में अमेरिका की हिस्सेदारी 5-20 प्रतिशत है। हालांकि, अतिरिक्त 25 प्रतिशत का सभी सेक्टर्स पर नकारात्मक असर होगा।

Point of View

हमारा दृष्टिकोण यह है कि भारत को अपने कॉरपोरेट सेक्टर की मजबूती और सरकारी समर्थन का इस्तेमाल करते हुए अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीति बनानी चाहिए। यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
20/08/2025

Frequently Asked Questions

यूएस टैरिफ का भारत पर क्या प्रभाव है?
यूएस टैरिफ का भारत पर कई क्षेत्रों विशेषकर डायमंड पॉलिश, टेक्सटाइल और झींगा उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत सरकार किस प्रकार की सहायता प्रदान कर सकती है?
भारत सरकार प्रभावित क्षेत्रों को वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करके मदद कर सकती है।
क्या भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता कर सकता है?
हां, संभावित व्यापार समझौते पर दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है, जो भविष्य में व्यापार संबंधों को मजबूत कर सकती है।