क्या भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा?

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क्या भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा?

सारांश

भारत-न्यूजीलैंड के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इस समझौते से न केवल बाजार पहुंच बढ़ेगी, बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी लाभ होगा। जानिए विशेषज्ञों की राय।

Key Takeaways

  • भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।
  • दोनों देशों के बाजारों में पहुंच में सुधार होगा।
  • भारतीय निर्यात पर 100% ड्यूटी समाप्त होगी।
  • 15 सालों में 20 अरब डॉलर का निवेश होगा।
  • भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अर्थशास्त्री और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने मंगलवार को कहा कि भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, क्योंकि इससे दोनों देशों को एक-दूसरे के बाजार में पहुंच मिलेगी और उन्हें हर क्षेत्र में फायदा होगा।

भारतीय सामानों के लिए बेहतर बाजार पहुंच सुनिश्चित करके, सर्विसेज और मोबिलिटी में मौके बढ़ाकर और खेती, इन्वेस्टमेंट और नए सेक्टर्स में सहयोग गहरा करके, यह समझौता अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।

जैन ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "स्वाभाविक रूप से, जब भारत और न्यूजीलैंड जैसे दो देश फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करते हैं और एक-दूसरे को ज्यादा बाजार पहुंच प्रदान करते हैं। साथ ही दोनों देशों की लीडरशिप आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है, तो निवेशकों का भरोसा बढ़ता है। वह भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के बारे में भी सकारात्मक महसूस करते हैं।"

एफटीए से भारतीय एक्सपोर्ट पर 100 प्रतिशत ड्यूटी खत्म हो जाएगी, साथ ही लंबे समय तक आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए न्यूजीलैंड ने 15 सालों में 20 अरब डॉलर के निवेश का वादा भी किया है।

इसके अलावा, सूरत के साउथ गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट निखिल मद्रासी ने कहा कि जब फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन होता है, तो नए बाजार खुलते हैं और निर्यातकों को काफी फायदा होता है।

मद्रासी ने कहा, "इंडिया-न्यूजीलैंड एफटीए के जरिए, भारत को न्यूजीलैंड के बाजार में टैरिफ-फ्री एक्सेस मिलेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को बहुत मदद मिलेगी।"

उद्योगपति और साउथ गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स सूरत के पूर्व अध्यक्ष विजय मेवाला ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह देश के लिए एक ग्लोबल ट्रेड लीडर के तौर पर उभरने का एक बड़ा मौका है।

उन्होंने कहा, "जब पड़ोसी देश संघर्षों का सामना कर रहे हैं, तो भारत के पास ग्लोबल ट्रेड में अपनी स्थिति मजबूत करने का एक अच्छा मौका है।"

पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त डॉ. शिखा दरबारी ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच 20 अरब डॉलर के दीर्घकालिक व्यापार समझौते का उद्देश्य अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण और निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है।

उन्होंने कहा कि भारत अब तक एफटीए समझौतों के प्रति सतर्क था, लेकिन अब वह विकसित देशों के साथ संतुलित और सुरक्षित व्यापार समझौते कर रहा है। इससे भारत सरकार की बदली हुई व्यापार कूटनीति स्पष्ट हो रही है, जिसमें निवेशकों के हित को प्रमुखता दी जा रही है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक व्यापार में अग्रणी बनाना है, और इसके लिए रणनीतिक समझौतों को प्राथमिकता दी जा रही है।

Point of View

जो न केवल आर्थिक विकास में सहायक होगी, बल्कि दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को भी मजबूत करेगी। यह कदम भारत की वैश्विक व्यापार नीति को और प्रगाढ़ बनाता है।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत-न्यूजीलैंड एफटीए का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
भारत-न्यूजीलैंड एफटीए का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है।
इस एफटीए से भारतीय निर्यातकों को क्या लाभ होगा?
इस एफटीए से भारतीय निर्यातकों को न्यूजीलैंड के बाजार में टैरिफ-फ्री एक्सेस मिलेगा, जिससे उनके लिए निर्यात करना आसान होगा।
क्या यह समझौता दीर्घकालिक है?
जी हाँ, यह समझौता 15 वर्षों के लिए 20 अरब डॉलर के निवेश का वादा करता है, जो दीर्घकालिक सहयोग को दर्शाता है।
क्या इस एफटीए से भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा और निवेशकों का भरोसा बढ़ाएगा।
क्या भारत के लिए यह मौका महत्वपूर्ण है?
हां, यह भारत के लिए एक ग्लोबल ट्रेड लीडर बनने का बड़ा मौका है, खासकर जब अन्य देशों में संघर्ष चल रहे हैं।
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