क्या भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एयूएम 2035 तक 300 लाख करोड़ रुपए को पार करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- 2035 तक एयूएम का अनुमानित बढ़ना
- जेन जेड और महिलाओं की भागीदारी
- डिजिटलीकरण का प्रभाव
- एसआईपी की महत्वपूर्ण भूमिका
- मल्टी-कैप और लार्ज कैप फंडों में वृद्धि
मुंबई, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 2035 तक 300 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है। यह जेन जेड, महिलाओं और छोटे शहरों के परिवारों की डिजिटलीकरण के प्रति रुचि के कारण संभव हो रहा है, जो एसआईपी के माध्यम से दीर्घकालिक निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में साझा की गई।
भारत के म्यूचुअल फंड क्षेत्र की वृद्धि दर 2025 में काफी मजबूत रही है। इस दौरान एयूएम नवंबर 2025 तक बढ़कर 81 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि नवंबर 2024 में यह 68 लाख करोड़ रुपए था। इस दौरान इसमें लगभग 21.91 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई है।
आईसीआरए एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, शुद्ध प्रवाह में वृद्धि, सशक्त बाजार प्रदर्शन और रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी ने डिजिटाइजेशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इससे एयूएम में स्थिर वृद्धि देखी गई है।
मई 2025 में उद्योग का एयूएम 70 लाख करोड़ रुपए के करीब था, जो कि अगले छह महीने में यानी नवंबर 2025 तक 80 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पूंजी प्रवाह इसी दिशा में बना रहता है, तो अगले कुछ वर्षों में भारत का एयूएम 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है।
आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बाजार डेटा प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा, “100 लाख करोड़ रुपए से आगे दीर्घकालिक दृष्टिकोण और भी अधिक परिवर्तनकारी विकास की ओर इशारा करता है। भू-राजनीतिक स्थिति और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, घरेलू म्यूचुअल फंड उद्योग ने भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखा है।”
ओपन-एंडेड इक्विटी फंडों का एयूएम 5 वर्षों में चार गुना बढ़कर नवंबर 2025 में 36 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि नवंबर 2020 में 9 लाख करोड़ रुपए था।
यह सालाना आधार पर 17.45 प्रतिशत बढ़ा है और नवंबर 2024 में यह 30 लाख करोड़ रुपए था।
कुमार ने कहा, “रणनीतिक लचीलेपन, विविधीकृत निवेश और अनुकूल बाजार स्थितियों के कारण फ्लेक्सी-कैप फंडों में साल-दर-साल आधार पर मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। फ्लेक्सी-कैप फंड श्रेणी के बाद मल्टी-कैप फंड और लार्ज और मिड-कैप फंड श्रेणियां आती हैं, जिनमें क्रमशः 24.78 प्रतिशत और 22.78 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि हुई है।”
डेट फंडों का एयूएम भी वार्षिक आधार पर 14.82 प्रतिशत बढ़कर नवंबर 2025 में 19 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो कि नवंबर 2024 में 17 लाख करोड़ रुपए था।
इक्विटी फंडों के प्रदर्शन की बात करें तो, स्मॉल कैप फंडों ने 5 और 10 वर्षों की अवधि में अधिकतम वृद्धि दर्ज की, जिनमें क्रमशः 24.91 प्रतिशत और 16.70 प्रतिशत की सीएजीआर (30 नवंबर तक) दर्ज की गई।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के विकास के सबसे मजबूत और विश्वसनीय इंजनों में से एक बनकर उभरे हैं।
नवंबर 2025 तक, एसआईपी एयूएम 16.53 लाख रुपए तक पहुंच गया था, जो म्यूचुअल फंड उद्योग के कुल एयूएम का 20 प्रतिशत से अधिक है। यह दीर्घकालिक परिसंपत्ति संचय को बढ़ावा देने में एसआईपी की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।