क्या कोल्ड चेन योजना रोजगार को बढ़ावा दे रही है और किसानों की आय में सुधार ला रही है?
सारांश
Key Takeaways
- 395 कोल्ड चेन परियोजनाएं मंजूर की गई हैं।
- 291 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
- सालाना 25.52 लाख मीट्रिक टन संरक्षण का सृजन।
- 1.74 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
- योजना का उद्देश्य पैदावार के बाद नुकसान को कम करना है।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को साझा की गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2008 से 395 कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 291 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और चालू हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सालाना आधार पर 25.52 लाख मीट्रिक टन संरक्षण और 114.66 लाख मीट्रिक टन प्रसंस्करण क्षमता का सृजन हुआ है। इसके साथ ही, 1.74 लाख रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्यवर्धन अवसंरचना (आईसीसीवीएआई) योजना का संचालन करता है, जिसे प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत कोल्ड चेन योजना के रूप में जाना जाता है।
इस योजना का उद्देश्य खेत से लेकर खुदरा बाजार तक एक निर्बाध कोल्ड चेन का निर्माण करना, पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को कम करना और किसानों को उनकी उपज का बेहतर लाभ सुनिश्चित करना है।
भारत में पैदावार के बाद होने वाली क्षति एक गंभीर चुनौती है। फल और सब्जियों के साथ-साथ, जल्दी खराब होने वाली वस्तुएं जैसे कि डेयरी, मांस, मुर्गी और मछली भी इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करती हैं।
शोध से पता चलता है कि पैदावार और रखरखाव से लेकर परिवहन, भंडारण और प्रसंस्करण तक, पूरी सप्लाई चेन में काफी नुकसान होता है, जिससे किसानों की आय में कमी आती है और उपभोक्ता कीमतें बढ़ती हैं।
इसी संदर्भ में कोल्ड चेन योजना को पीएमकेएसवाई के अंतर्गत लाया गया, ताकि किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और बाजारों को जोड़ने वाले कोल्ड चेन समाधान तैयार किए जा सकें और बर्बादी में कमी लाई जा सके। यह योजना रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को भी बेहतर बना रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2025 में, पीएमकेएसवाई के लिए अतिरिक्त 1,920 करोड़ रुपए की मंजूरी दी, जिससे 15वें वित्त आयोग के लिए कुल परिव्यय 6,520 करोड़ रुपए हो गया। इस मंजूरी में आईसीसीवीएआई के अंतर्गत 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों की स्थापना के लिए 1000 करोड़ रुपए शामिल हैं।
योजना में सुधार के लिए इसमें आखिरी बार मई 2025 में संशोधन किया गया था। नए परिचालन दिशानिर्देश, खेत से लेकर उपभोक्ता तक, संपूर्ण सप्लाई चेन में संरक्षण को मजबूत करने पर केंद्रित हैं।
केंद्र सरकार का कहना है कि इन उपायों का उद्देश्य गैर-बागवानी उत्पादों के पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य मिले।