क्या देश की शीर्ष 10 में से पांच कंपनियों का मार्केटकैप 72,284 करोड़ रुपए बढ़ा?
सारांश
Key Takeaways
- पांच शीर्ष कंपनियों का मार्केटकैप 72,284 करोड़ रुपए बढ़ा।
- टीसीएस का मार्केटकैप सबसे अधिक बढ़ा।
- भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक रुख दिखाई दे रहा है।
- अगले सप्ताह बाजार के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
- भारत और रूस के संबंधों पर भी निवेशकों की नजरें हैं।
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के सकारात्मक रुख के चलते शीर्ष 10 में शामिल पांच कंपनियों के मार्केटकैप में पिछले सप्ताह 72,284.74 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। इसमें टाटा समूह की आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का मार्केटकैप सबसे अधिक बढ़ा है।
जिन कंपनियों ने इस सूची में वृद्धि दर्ज की है, उनमें भारती एयरटेल, टीसीएस, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस और बजाज फाइनेंस शामिल हैं। इसके विपरीत, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एलएंडटी, और जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मार्केटकैप में कमी आई है।
टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 35,909.52 करोड़ रुपए बढ़कर 11,71,862.37 करोड़ रुपए हो गया है।
इन्फोसिस का बाजार मूल्यांकन भी बढ़कर 23,404.55 करोड़ रुपए हो गया, जो कुल मिलाकर 6,71,366.53 करोड़ रुपए है।
बजाज फाइनेंस के मार्केटकैप में 6,720.28 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई, जिससे उसका कुल बाजार मूल्यांकन 6,52,396.39 करोड़ रुपए हो गया।
भारती एयरटेल का मार्केटकैप 3,791.9 करोड़ रुपए बढ़कर 12,01,832.74 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि आईसीआईसीआई बैंक का बाजार मूल्यांकन 2,458.49 करोड़ रुपए की मामूली वृद्धि के साथ 9,95,184.46 करोड़ रुपए हो गया है।
दूसरी ओर, रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केटकैप 35,116.76 करोड़ रुपए घटकर 20,85,218.71 करोड़ रुपए हो गया है।
एलआईसी का मार्केटकैप 15,559.49 करोड़ रुपए घटकर 5,50,021.80 करोड़ रुपए, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का मार्केटकैप 7,522.96 करोड़ रुपए घटकर 8,96,662.19 करोड़ रुपए और एचडीएफसी बैंक का मार्केटकैप 5,724.03 करोड़ रुपए घटकर 15,43,019.64 करोड़ रुपए हो गया है।
एलएंडटी का बाजार पूंजीकरण 4,185.39 करोड़ रुपए घटकर 5,55,459.56 करोड़ रुपए हो गया है।
भारतीय शेयर बाजार के लिए आने वाला सप्ताह महत्वपूर्ण रहेगा। महंगाई, म्यूचुअल फंड, एफआईआई और घरेलू एवं वैश्विक आर्थिक आंकड़ों से बाजार का रुख निर्धारित होगा।
इसके अलावा, भारत और रूस के बढ़ते संबंधों और अमेरिका-भारत के बीच संभावित व्यापार पर निवेशकों की नजरें होंगी।