क्या एफजीडी को लेकर दी गई छूट से कोयला प्लांट को वार्षिक टैरिफ में 24,000 करोड़ रुपए तक की बचत होगी?

सारांश
Key Takeaways
- एफजीडी की अनिवार्यता में छूट से वार्षिक टैरिफ में बड़ी बचत होगी।
- कोल-बेस्ड प्लांट की उत्पादन क्षमता में सुधार होगा।
- पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
- भविष्य में रिन्यूएबल ऊर्जा का महत्व बढ़ेगा।
- कोयला आधारित प्लांट की हिस्सेदारी 2030 तक महत्वपूर्ण रहेगी।
नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने हाल ही में अधिकांश कोल-बेस्ड थर्मल पावर प्लांट में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) सिस्टम की अनिवार्य स्थापना की आवश्यकता में छूट दी है, जिससे प्लांट के वार्षिक टैरिफ खर्च में 19,000 करोड़ रुपए से 24,000 करोड़ रुपए की बचत होगी, जो 0.17 रुपए प्रति यूनिट से 0.22 रुपए प्रति यूनिट के बराबर है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, एफजीडी 145 गीगावाट क्षमता वाले कैटेगरी सी प्लांट के लिए थर्मल इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर (आईपीपी) के लिए सकारात्मक है। 0.6-0.8 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट के पूंजीगत व्यय को ध्यान में रखते हुए, इससे पूंजीगत व्यय का बोझ 87,000 रुपए से 1,16,000 करोड़ रुपए तक कम हो जाएगा।
केयरएज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक, सब्यसाची मजूमदार ने कहा, "कैटेगरी सी परियोजनाओं को एफजीडी के कार्यान्वयन से छूट देना थर्मल पावर उत्पादकों के लिए सकारात्मक है क्योंकि ऐसी परियोजनाओं में उस क्षमता का 80 प्रतिशत हिस्सा शामिल है, जिसके लिए एफजीडी का कार्यान्वयन अभी बाकी है। इससे एफजीडी पूंजीगत व्यय की भरपाई के लिए आगामी टैरिफ वृद्धि का बोझ भी कम होगा।"
पिछले सप्ताह, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अधिकांश कोल-बेस्ड थर्मल पावर प्लांट में एफजीडी सिस्टम की अनिवार्य स्थापना की आवश्यकता में छूट दी।
व्यापक विचार-विमर्श और कई स्वतंत्र अध्ययनों के बाद अंतिम रूप दिया गया नया फ्रेमवर्क, एफजीडी अनिवारताओं को केवल दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित प्लांट तक सीमित करेगा।
कोयला आधारित बिजली उत्पादन भारत के बिजली उत्पादन क्षेत्र की रीढ़ बना हुआ है, जो वित्त वर्ष 2025 में कुल उत्पादन का लगभग 75 प्रतिशत रहा, जबकि कुल स्थापित क्षमता में इसकी हिस्सेदारी केवल 47 प्रतिशत है।
यह मुख्य रूप से रिन्यूएबल और हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्रोतों की तुलना में कोल-बेस्ड प्लांट के हाईर प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) के कारण है।
रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में रिन्यूएबल क्षमता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने और कोयला आधारित क्षमता वृद्धि में कमी के बावजूद, वित्त वर्ष 2030 तक उत्पादन में कोल बेस्ड प्लांट की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत के साथ महत्वपूर्ण बनी रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यह देखते हुए कि पूर्ण ऊर्जा खपत में वृद्धि होने वाली है, वित्त वर्ष 2030 में थर्मल पावर का कुल ऑफटेक लगभग 1,233 बिलियन यूनिट के साथ महत्वपूर्ण बना रहेगा।
केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर शैलेंद्र सिंह बघेल ने कहा कि मंत्रालय द्वारा कैटेगरी सी प्लांट को छूट देने संबंधी हालिया संशोधन से थर्मल पावर प्रोड्यूसर पर बोझ कम होगा और साथ ही कैटेगरी ए और बी परियोजनाओं के लिए एफजीडी आवश्यकता को बरकरार रखते हुए पर्यावरणीय पहलू को संतुलित किया जाएगा।