क्या जीएसटी डे पर बीते 5 वर्षों में वस्तु एवं सेवा कर संग्रह दोगुना हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी ने कर अनुपालन को सरल बनाया।
- जीएसटी संग्रह पिछले 5 वर्षों में लगभग दोगुना हुआ।
- एक समान कर प्रणाली के लिए जीएसटी को लागू किया गया था।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। 1 जुलाई 2025 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ वर्ष पूरे होने वाले हैं। जीएसटी को एक सशक्त और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने हेतु 2017 में लागू किया गया था।
जीएसटी के माध्यम से कर अनुपालन को सरल बनाया गया है, जिससे व्यापारियों की लागत में कमी आई है और माल को बिना किसी कठिनाई के एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने की सुविधा मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी को 'नए भारत के लिए एक मार्गदर्शक कानून' के रूप में पेश किया था। पिछले आठ वर्षों में, जीएसटी ने अद्भुत सफलता प्राप्त की है और इसके संग्रह में लगातार वृद्धि देखी गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में जीएसटी संग्रह लगभग दोगुना हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-2025 में 22.08 लाख करोड़ रुपए हो गया। जीएसटी संग्रह में यह वृद्धि अनुपालन और आर्थिक गतिविधियों में निरंतर वृद्धि को दर्शाती है।
आधिकारिक डेटा के अनुसार, जीएसटी संग्रह के साथ-साथ सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कि 30 अप्रैल 2025 तक 1,51,80,087 हो गई है।
जीएसटी की वर्तमान संरचना में चार मुख्य स्लैब हैं: 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी निर्धारित की गई हैं। जीएसटी की दर सोने, चांदी, हीरे और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत, और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत है।
जीएसटी को 'एक राष्ट्र, एक कर' के सिद्धांत के तहत लागू किया गया था। इसके लागू होने से विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक ही कर के तहत लाया गया। जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ली, जिससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई।