क्या एच-1बी वीजा फीस बढ़ने से भारतीय आईटी कंपनियों पर असर होगा?

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क्या एच-1बी वीजा फीस बढ़ने से भारतीय आईटी कंपनियों पर असर होगा?

सारांश

हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एच-1बी वीजा फीस में वृद्धि का भारतीय आईटी कंपनियों पर सीमित असर होगा, जबकि कंपनी की रणनीतियों को प्रभावित करने वाले कई फैक्टर मौजूद हैं। जानिए कैसे ये बदलाव कंपनियों को प्रभावित करेंगे।

Key Takeaways

  • एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी का सीमित असर होने की संभावना।
  • कंपनियों को ऑपरेटिंग मॉडल की समीक्षा करनी होगी।
  • ऑफशोरिंग को तेज करने की आवश्यकता।
  • स्वचालन और एआई में निवेश की उम्मीद।
  • भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर को आकर्षण।

नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पिछले 10 वर्षों में स्थानीयकरण और ऑफशोरिंग में वृद्धि के कारण भारतीय आईटी सेवा कंपनियों की एच-1बी वीजा पर निर्भरता में कमी आई है। इस संदर्भ में, वीजा फीस बढ़ाने का प्रभाव कंपनियों पर सीमित रहने की संभावना जताई गई है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में सामने आई।

फ्रैंकलिन टेम्पलटन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में मध्यम अवधि में इसका असर महसूस किया जा सकता है। अमेरिका में डिलीवरी की बढ़ती लागत के कारण कंपनियों को अपने ऑपरेटिंग मॉडल की समीक्षा करने और नयी रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता पड़ सकती है।

इस प्रभाव का आकलन कंपनी के अमेरिका में विस्तार, ऑनसाइट कार्यबल मिश्रण और गैर-स्थानीय टैलेंट पर निर्भरता के आधार पर भिन्न हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, "चूंकि एच-1बी लॉटरी और याचिकाएं आमतौर पर चौथी तिमाही से पहली तिमाही में होती हैं, इसलिए वित्तीय वर्ष 27 की याचिका चक्र पर इसका प्रभाव देखने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप, सेवा प्रदाताओं द्वारा ऑफशोरिंग को बढ़ावा देने, कनाडा और मैक्सिको में नियरशोर संचालन को विस्तारित करने, और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए स्वचालन एवं एआई में निवेश करने की उम्मीद है।"

ये परिवर्तन भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर को प्रतिभा के लिए आकर्षक बना सकते हैं, खासकर जब ऑनसाइट अवसर सीमित हो रहे हैं और ग्राहक बेहतर दरों एवं दक्षता की मांग कर रहे हैं।

हालांकि, भारत के इक्विटी बाजार में निकट भविष्य में कुछ अस्थिरता देखने को मिल सकती है, लेकिन कुल मिलाकर मूल्यांकन अभी भी ऐतिहासिक औसत की तुलना में अधिक है।

कमजोर मांग के कारण पिछले 6-12 महीनों में आईटी क्षेत्र का मूल्यांकन घटा है।

घरेलू खपत में सुधार और निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में वृद्धि से भारतीय बाजार में कॉर्पोरेट आय का आउटलुक बेहतर हो रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों के लिए अल्पकालिक चुनौतियां उत्पन्न करते हैं, फिर भी भारत का मैक्रोइकॉनमिक आधार मजबूत बना हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 की दूसरी छमाही में अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौतों, मजबूत घरेलू मांग और आय में सुधार से बाजार में सकारात्मक माहौल बन सकता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि एच-1बी वीजा फीस में वृद्धि को लेकर भारतीय आईटी कंपनियों की चिंताओं को समझना आवश्यक है। हालांकि, वर्तमान में कंपनियों की रणनीतियों में बदलाव और स्थानीयकरण की प्रक्रिया इसे प्रभावी ढंग से संभालने में मदद कर सकती है।
NationPress
24/09/2025

Frequently Asked Questions

एच-1बी वीजा फीस में वृद्धि का क्या असर होगा?
रिपोर्ट के अनुसार, इसका असर सीमित रहने की संभावना है क्योंकि कंपनियों ने पहले ही स्थानीयकरण और ऑफशोरिंग पर ध्यान केंद्रित किया है।
कंपनियां कैसे प्रतिक्रिया देंगी?
कंपनियों को अपनी ऑपरेटिंग रणनीतियों का पुनरावलोकन करना पड़ेगा, और संभवतः ऑफशोरिंग को बढ़ावा देना होगा।