क्या सरकार ने सार्वजनिक बैंकों को निदेशकों से जुड़े सतर्कता मामलों पर जानकारी देने का बड़ा निर्देश दिया?

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क्या सरकार ने सार्वजनिक बैंकों को निदेशकों से जुड़े सतर्कता मामलों पर जानकारी देने का बड़ा निर्देश दिया?

सारांश

वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक बैंकों को निदेशकों से जुड़े सतर्कता मामलों की तत्काल जानकारी देने का निर्देश दिया है। यह आदेश इसलिए जारी हुआ है क्योंकि कई बार महत्वपूर्ण जानकारी समय पर नहीं दी गई। जानिए इस आदेश का महत्व और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • सार्वजनिक बैंकों को निदेशकों से जुड़े सतर्कता मामलों की जानकारी समय पर देनी होगी।
  • महत्वपूर्ण जानकारी छुपाना गंभीर समस्या बन सकती है।
  • विजिलेंस क्लीयरेंस में सभी जानकारी विस्तृत होनी चाहिए।
  • सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है।
  • बैंकिंग क्षेत्र में सतर्कता महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों (जैसे बैंकों और बीमा कंपनियों) को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे अपने बोर्ड में शामिल पूर्णकालिक निदेशकों से जुड़े सतर्कता (विजिलेंस) मामलों की जानकारी समय पर उपलब्ध कराएँ।

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने यह बताया है कि यदि नियुक्ति, पदोन्नति, और बोर्ड स्तर की तैनाती से संबंधित निर्णयों में कोई महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई जाती है, तो यह एक गंभीर मुद्दा बन सकता है। सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) से इन मामलों में सख्ती से नियमों का पालन करने की अपेक्षा की गई है।

यह आदेश इसलिए जारी किया गया है, क्योंकि कई बार बोर्ड स्तर पर नियुक्त अधिकारियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देर से दी गई।

निर्देश में कहा गया है कि कुछ मामलों में निजी शिकायतें, अदालत की टिप्पणियाँ, सीबीआई या अन्य जांच एजेंसियों से प्राप्त जानकारी केवल तब सामने आती हैं जब पदोन्नति या नियुक्ति के दौरान मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) से विजिलेंस क्लीयरेंस मांगी जाती है।

इस महीने जारी की गई सलाह में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ मामलों में पूर्णकालिक निदेशकों से जुड़ी अहम जानकारी यह कहकर नहीं दी जाती कि विजिलेंस क्लीयरेंस फॉर्म में इसके लिए कोई अलग कॉलम नहीं है।

डीएफएस ने सार्वजनिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि यदि बोर्ड स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कोई नकारात्मक या गंभीर जानकारी हो, तो उसे तुरंत रिपोर्ट किया जाए, भले ही वह मामला उनकी बोर्ड की भूमिका से अलग किसी अन्य पद से जुड़ा हो।

सरकार ने यह भी कहा है कि विजिलेंस क्लीयरेंस में सभी आवश्यक जानकारी पूरी और विस्तृत होनी चाहिए। इसमें अदालतों या ट्रिब्यूनल के आदेश, आंतरिक समितियों की रिपोर्ट, गंभीर ऑडिट टिप्पणियाँ, और किसी भी सरकारी विभाग या एजेंसी से प्राप्त जानकारी शामिल होनी चाहिए।

मुख्य सतर्कता अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि विजिलेंस क्लीयरेंस (सतर्कता मंजूरी) जारी करते समय सभी जानकारी बिल्कुल सही और अपडेट हो, और कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई न जाए।

इस वर्ष की शुरुआत में, सरकार को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक पंकज द्विवेदी की पदोन्नति का निर्णय वापस लेना पड़ा था। उन्हें पंजाब एंड सिंध बैंक (बीएसबी) में जनरल मैनेजर बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन उनके मामले में विजिलेंस क्लीयरेंस नहीं मिली थी।

सरकार का यह निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले के कारण लिया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में उनकी कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्ति नियमों के खिलाफ थी, क्योंकि उस समय विजिलेंस क्लीयरेंस मौजूद नहीं थी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सरकार का यह कदम पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। वित्तीय संस्थानों में सफाई की आवश्यकता है, और यह निर्देश सुनिश्चित करेगा कि सभी जानकारी समय पर साझा की जाए।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

सरकार ने बैंकों को यह निर्देश क्यों दिया?
सरकार ने यह निर्देश इसलिए दिया है ताकि सार्वजनिक बैंकों में पारदर्शिता बढ़े और सतर्कता मामलों की सही जानकारी समय पर उपलब्ध हो सके।
क्या यह आदेश सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर लागू होता है?
हाँ, यह आदेश सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) पर लागू होता है।
मुख्य सतर्कता अधिकारी की भूमिका क्या है?
मुख्य सतर्कता अधिकारी का कार्य सतर्कता मामलों की निगरानी करना और आवश्यक जानकारी प्रदान करना है।
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