क्या केंद्र ने आरटीएस और डीआरई टेक्नोलॉजी पर इनोवेटिव ‘स्टार्ट-अप चैलेंज’ शुरू किया?

सारांश
Key Takeaways
- केंद्र सरकार का 2.3 करोड़ रुपए का स्टार्ट-अप चैलेंज।
- नवाचार को बढ़ावा देने का उद्देश्य।
- आवेदन की अंतिम तिथि 20 अगस्त।
- चार प्रमुख श्रेणियों में फोकस।
- विजेताओं को इनक्यूबेशन और मार्गदर्शन मिलेगा।
नई दिल्ली, 21 जून (राष्ट्र प्रेस) । केंद्र सरकार ने शनिवार को देश में रूफटॉप सोलर (आरटीएस) और डिस्ट्रिब्यूटेड रिन्यूएबल एनर्जी (डीआरई) टेक्नोलॉजी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 2.3 करोड़ रुपए के पुरस्कार पूल के साथ एक अनोखा ‘स्टार्ट-अप चैलेंज’ आरंभ किया।
इस विशेष राष्ट्रीय नवाचार चैलेंज का उद्देश्य भारत के आरटीएस और डीआरई पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सफल समाधानों की पहचान करना और उन्हें समर्थन प्रदान करना है।
यह चैलेंज नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अधीन राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) के सहयोग और स्टार्टअप इंडिया, डीपीआईआईटी के समन्वय से संचालित किया जा रहा है।
चुने गए नवप्रवर्तक कुल 2.3 करोड़ रुपए के पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। इसमें पहले स्थान के लिए 1 करोड़ रुपए, दूसरे स्थान के लिए 50 लाख रुपए और तीसरे स्थान के लिए 30 लाख रुपए दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, 5 लाख रुपए के 10 सांत्वना पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, विजेताओं को एमएनआरई और एनआईएसई द्वारा इनक्यूबेशन समर्थन, कार्यान्वयन के अवसर और डोमेन विशेषज्ञों तथा निवेशकों से मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
आवेदन की अंतिम तिथि 20 अगस्त है और परिणाम 10 सितंबर को घोषित किए जाएंगे।
यह स्टार्ट-अप चैलेंज भारत में नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स से आवेदन आमंत्रित करता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए चार प्रमुख श्रेणियों में फोकस करता है: वहनीयता, लचीलापन, समावेशिता और पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी।
वहनीयता के अंतर्गत निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों के लिए नवाचारात्मक वित्तीय मॉडल, मॉड्यूलर सिस्टम और सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियों का उपयोग कर रूफटॉप सोलर को सुलभ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
लचीलापन के अंतर्गत सौर अवसंरचना में विशेष रूप से अतिसंवेदनशील और दूरदराज क्षेत्रों में जलवायु लचीलापन, ग्रिड स्थिरता और साइबर सुरक्षा को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।
समावेशिता के अंतर्गत समुदाय सौर, वर्चुअल नेट मीटरिंग और समावेशी वित्तीय मॉडल के जरिए वंचित समुदायों तक पहुंच का विस्तार करने पर जोर दिया जाएगा।
पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी के तहत सौर पैनल रिसाइक्लिंग, भूमि-तटस्थ सौर तैनाती और हाइब्रिड क्लीन ऊर्जा मॉडल जैसी पर्यावरण-हितैषी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।