क्या डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड में सेबी की स्पष्टता ग्राहकों का विश्वास बढ़ाती है?

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क्या डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड में सेबी की स्पष्टता ग्राहकों का विश्वास बढ़ाती है?

सारांश

डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड के बीच सेबी की स्पष्टता से ग्राहक विश्वास कैसे बढ़ता है? जानें इस लेख में।

Key Takeaways

  • डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड में अंतर को समझना जरूरी है।
  • सेबी का स्पष्टीकरण ग्राहकों का विश्वास बढ़ाता है।
  • डिजिटल गोल्ड को सुरक्षित तिजोरियों में रखा जाता है।
  • ग्राहक इसे आसानी से रिडीम कर सकते हैं।
  • यह युवा निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प है।

नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा डिजिटल गोल्ड के संबंध में हाल ही में जारी स्पष्टीकरण एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। यह डिजिटल इकोसिस्टम की सीमाओं को स्पष्ट करने में मदद करेगा और साथ ही इस उत्पाद की प्रकृति के बारे में ग्राहकों को जागरूक करेगा।

सेबी ने डिजिटल गोल्ड और ऑनलाइन उपलब्ध ई-गोल्ड उत्पादों के संबंध में निवेशकों को चेतावनी दी है। इसमें कहा गया है कि यह सभी ऑफ़रिंग सिक्योरिटीज के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क से बाहर होती हैं, जिससे निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाता है।

डिजिटल गोल्ड को सेबी की तरफ से सिक्योरिटीज या कमोडिटी डेरिवेटिव्स की तरह रेगुलेट नहीं किया जाता है। यह पूरी तरह से फिजिकल गोल्ड और ज्वेलरी की डायरेक्ट बिक्री की तरह ही काम करता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि इस स्पष्टीकरण को समझने के लिए सबसे पहले इस उत्पाद को परिभाषित करना आवश्यक है। डिजिटल गोल्ड एक 24-कैरेट फिजिकल गोल्ड है, जिसे डिजिटल चैनल के माध्यम से फ्रैक्शनल यूनिट में बेचा जाता है।

फोनपे, जीपे, पेटीएम, जार, अमेजन, मोबिक्विक, तनिष्क और कैरेटलेन जैसे प्लेटफार्मों पर खरीदे गए डिजिटल गोल्ड की हर यूनिट उतनी ही मात्रा में फिजिकल गोल्ड के बराबर होती है। यह सोना सुरक्षित, बैंक-ग्रेड तिजोरियों में संग्रहित किया जाता है और पूरी तरह से इंश्योर्ड होता है।

इसलिए डिजिटल गोल्ड वास्तव में फिजिकल गोल्ड खरीदने और बचाने के लिए एक आधुनिक और डिजिटल तरीका है। यह एक वर्चुअल एसेट या गोल्ड ईटीएफ की तरह एक अलग तरह का वित्तीय निवेश उत्पाद नहीं है। सेबी का नोटिफिकेशन इस अंतर को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

डिजिटल गोल्ड की विश्वसनीयता पूरी तरह से इकोसिस्टम पार्टनर की ईमानदारी पर निर्भर करती है। फोनपे, पेटीएम, जीपे और अमेजन जैसे प्रमुख डिजिटल प्लेटफार्मों पर सोने की बिक्री बड़े इंडस्ट्री लीडर्स एमएमटीसी-पीएएमपी और सेफगोल्ड द्वारा संचालित होती है।

ये व्यवस्थाएं वैश्विक मानकों के माध्यम से विश्वास सुनिश्चित करती हैं:

ग्राहक द्वारा खरीदा गया हर ग्राम सोना 100 प्रतिशत ऑथेंटिक, पूरी तरह से इंश्योर्ड और रिडीम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एमएमटीसी-पीएएमपी भारत का एकमात्र एलबीएमए-मान्यता प्राप्त प्रीसियस मेटल रिफाइनर है।

सभी गोल्ड होल्डिंग्स ग्राहक के नाम पर आवंटित की जाती हैं। इस धातु को ग्राहक की अतिरिक्त सुरक्षा के लिए स्वतंत्र ट्रस्ट्री की निगरानी में विश्वस्तरीय सुरक्षित और इंश्योर्ड तिजोरियों में रखा जाता है।

अकाउंट्स का दैनिक मिलान किया जाता है और नियमित तृतीय-पक्ष ऑडिट के माध्यम से स्वतंत्र रूप से सत्यापित किया जाता है, जो सेल्फ-रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की कठोरता को दर्शाता है, जिसे एमएमटीसी-पीएएमपी और सेफगोल्ड जैसे विक्रेताओं द्वारा अपनाया जाता है।

गोल्ड को डिजिटल तरीके से सुरक्षित रखने की क्षमता एक्सेस को लोकतांत्रिक बनाती है और फ्रिक्शनलेस सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट प्रदान करती है।

डिजिटल गोल्ड का मुख्य उपयोग मोबाइल-फर्स्ट माइक्रो-सेविंग्स को सुविधाजनक बनाना है। इसका कम एंट्री पॉइंट स्टोरेज की परेशानी और न्यूनतम खरीद मूल्य जैसी सामान्य बाधाओं को दूर करता है।

यह एक्सेसिबिलिटी के परिणामस्वरूप एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव को दर्शाता है। जहां ट्रेडिशनल गोल्ड खरीदारी 35-55 वर्ष की आयु वर्ग में केंद्रित थी, वहीं डिजिटल प्लेटफार्मों ने 18-35 वर्ष की आयु वर्ग में लोकप्रियता हासिल की है। इससे युवाओं को उनकी बचत राशि जल्दी तैयार करने में मदद मिलती है।

ग्राहकों के पास अपनी गोल्ड सेविंग को रिडीम करने के कई तरीके हैं, जिनमें मौद्रिक ट्रांसफर, फिजिकल डिलीवरी, और ज्वैलरी कनवर्जन शामिल हैं।

रेगुलेटरी स्पष्टता और तकनीकी नवाचार डिजिटल गोल्ड इकोसिस्टम के दो महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करते हैं।

पहला यह कि डिजिटल गोल्ड फिजिकल गोल्ड के समान है, जिसे आधुनिक चैनलों के माध्यम से बेचा जाता है। सेबी का हालिया स्पष्टीकरण यह पुष्टि करता है कि यह एक फिजिकल एसेट सेल है, न कि रेगुलेटेड निवेश सुरक्षा।

दूसरा यह कि पूरी प्रक्रिया अनकमप्रोमाइजिंग ऑथेंटिसिटी और सुरक्षा पर आधारित है। प्रत्येक ग्राम 100 प्रतिशत वास्तविक, पूरी तरह से इंश्योर्ड, सुरक्षित तिजोरियों में संग्रहीत और नियमित तृतीय-पक्ष ऑडिट से जुड़ा है। यह डिजिटल गोल्ड को नई पीढ़ी के भारतीयों के लिए फिजिकल एसेट्स को सुरक्षित रखने का सबसे विश्वसनीय और फ्रिक्शनलेस तरीका बनाता है।

Point of View

यह स्पष्ट होता है कि सेबी का स्पष्टीकरण डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड के बीच की सीमाओं को निर्धारित करता है। यह ग्राहकों को सूचित करने और निवेश के निर्णयों को समझने में मदद करता है।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

डिजिटल गोल्ड क्या है?
डिजिटल गोल्ड एक 24-कैरेट फिजिकल गोल्ड है, जिसे डिजिटल माध्यमों के जरिए खरीदा जा सकता है।
क्या डिजिटल गोल्ड सुरक्षित है?
हाँ, डिजिटल गोल्ड को सुरक्षित और इंश्योर्ड तिजोरियों में रखा जाता है।
क्या सेबी डिजिटल गोल्ड को रेगुलेट करता है?
नहीं, सेबी डिजिटल गोल्ड को सिक्योरिटीज की तरह रेगुलेट नहीं करता है।
ग्राहक डिजिटल गोल्ड को कैसे रिडीम कर सकते हैं?
ग्राहक इसे मौद्रिक ट्रांसफर, फिजिकल डिलीवरी, या ज्वैलरी कनवर्जन के जरिए रिडीम कर सकते हैं।
डिजिटल गोल्ड का क्या लाभ है?
डिजिटल गोल्ड का लाभ यह है कि यह आसान और सुलभ बचत का एक तरीका प्रदान करता है।
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